बीएनटी न्यूज़
मैनपुरी। उत्तर प्रदेश की मैनपुरी सीट से सांसद डिंपल यादव ने शुक्रवार को कहा कि महाकुंभ में ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के पोस्टर लगे हैं। भाजपा धर्म के नाम पर वोट बटोरने का एजेंडा चला रही है। उन्हें कोई परवाह नहीं है कि आज उत्तर प्रदेश में क्या हालत है?
पत्रकारों से बातचीत के दौरान समाजवादी पार्टी सांसद ने कहा, “क्या हमारे युवाओं के पास रोजगार है? क्या बेटियों की सुरक्षा सुनिश्चित कर पा रहे हैं? किस तरह से किसान और नौजवान दर-दर भटक रहा है। अब हमें समझ लेना चाहिए कि यह सरकार जनता के लिए कुछ नहीं करेगी। सिर्फ वोट बटोरने के लिए ही ऐसे हथकंडे अपनाएगी।”
महाकुंभ की तैयारी को लेकर सपा सांसद ने सरकार पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि कुंभ मेले की तैयारी ढंग से नहीं हो पाई। उन्होंने दावा किया कि बहुत से लोगों का कहना है कि कुंभ मेले के लिए जैसी तैयारी होनी चाहिए, नहीं हो पा रही है। यह बहुत दुख की बात है। उत्तर प्रदेश बड़ा राज्य है। हमने सोचा था कि भाजपा सरकार सपा सरकार से अच्छी व्यवस्था कर रही है। लेकिन, सिर्फ निराशा ही हाथ लगी है। इनकी तैयारी ठीक नहीं है।
कुंभ मेले में बनाए गए पुल पर अखिलेश यादव की टिप्पणी को लेकर उन्होंने कहा कि सपा प्रमुख जब मुख्यमंत्री थे, तब महाकुंभ हुआ था और जो तैयारी की गई थी, उसका उन्हें अनुभव है कि किस तरह से तैयारी होती है। पुलों की बात हो रही है, कितने पुल की आवश्यकता होती है, क्योंकि पूरे देश से लोग आते हैं। कुंभ में गंगा के दर्शन के लिए जिस तरह की तैयारी का अनुभव अखिलेश यादव के पास है, उन्हें पता है कि इस बार की तैयारी सही ढंग से नहीं हो पा रही है।
संसद परिसर में हुई धक्का-मुक्की के सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर सांसदों के साथ ऐसी कोई घटना हुई थी, तो उन्हें सबसे पहले लोकसभा अध्यक्ष के पास जाना चाहिए। लेकिन, वे सारे नियम तोड़कर थाने पहुंच गए। यह संसदीय नियमावली के विरुद्ध है। संसद में जिस प्रकार आचरण देखने को मिला है। इसके लिए भाजपा के सांसद जिम्मेदार हैं। उनको यह निर्देश कहीं ऊपर से मिला है।
उन्होंने संभल मुद्दे पर कहा कि लोकसभा के चुनाव परिणाम में भाजपा को क्षति हुई है। यह सरकार और भाजपा के लोग समझ गए हैं कि अब वोट बटोरने की राजनीति धर्म का मुद्दा बनाकर करेंगे तो वोट मिलेंगे, लेकिन आज परिस्थितियां बिल्कुल विपरीत हैं। आज हम सब जानते हैं कि किस तरह सभी वर्ग और जाति-धर्म के लोग आज निराश हैं, हताश हैं और उन्हें आशा की किरण नजर नहीं आ रही है।