
बीएनटी न्यूज़
बरेली। मौलाना शहाबुद्दीन ने मुस्लिम पर्सनल बोर्ड पर रमजान के पवित्र महीने को सियासत में घसीटने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि बोर्ड ने अपनी कमजोर होती स्थिति को देखते हुए पहले दिल्ली के जंतर-मंतर पर और फिर पटना में वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ प्रदर्शन किया। अब अलविदा की नमाज के दिन मुसलमानों से काली पट्टी बांधने के लिए कहा है। बोर्ड मुसलमानों का इस्तेमाल अपने राजनीतिक फायदे के लिए करने की कोशिश कर रहा है।
मौलाना ने इसे गलत ठहराते हुए कहा कि हर किसी को प्रदर्शन करने का हक है, लेकिन बोर्ड के लोग धार्मिक हैं। उन्हें रमजान जैसे इबादत के महीने में सियासी कामों से दूर रहना चाहिए।
मौलाना ने कहा, “रमजान इबादत का महीना है, लेकिन बोर्ड ने इसे राजनीति में उलझा दिया। पहले दिल्ली में जंतर-मंतर पर मुसलमानों को इकट्ठा किया। फिर पटना में बिहार के मुसलमानों को प्रदर्शन में शामिल किया। अब अलविदा की नमाज के दिन काली पट्टी बांधने की बात करके तीसरी बार मुसलमानों को भटकाने की कोशिश कर रहे हैं।”
उन्होंने बोर्ड पर अपनी सियासी जमीन बचाने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि बोर्ड को धार्मिक और समाज सेवा के कामों के लिए बनाया गया था, न कि राजनीति करने के लिए।
उन्होंने आगे कहा, “इन धार्मिक नेताओं को यह सोचना चाहिए कि इबादत का महीना सियासत के लिए नहीं है। बोर्ड ने रमजान को राजनीति का अड्डा बना दिया। यह गलत तरीका है।”
मौलाना ने मुसलमानों से अपील की कि वे बोर्ड के बहकावे में न आएं। अलविदा की नमाज के दिन काली पट्टी बांधने का जो ऐलान किया गया है, उस पर अमल न करें। बोर्ड के किसी भी सियासी ऐलान को न मानें। यह सिर्फ अपनी खोई हुई ताकत को वापस पाने की कोशिश है।”
उन्होंने कहा कि बोर्ड को अपनी गलती सुधारनी चाहिए और धार्मिक कामों पर ध्यान देना चाहिए।