
बीएनटी न्यूज़
जयपुर। नाबालिग लड़की से बलात्कार के मामले में जोधपुर सेंट्रल जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे आसाराम को राजस्थान हाईकोर्ट से राहत मिली है। हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की तय शर्तों को बरकरार रखते हुए उनकी अंतरिम जमानत 1 जुलाई तक बढ़ा दी है। जस्टिस दिनेश मेहता और जस्टिस विनीत कुमार की खंडपीठ ने सोमवार को अर्जी पर सुनवाई की।
आसाराम बापू 14 जनवरी से 31 मार्च तक अंतरिम जमानत पर थे। जमानत अवधि समाप्त होने के बाद उन्होंने 1 अप्रैल को आत्मसमर्पण कर दिया था। इसके बाद उन्हें उसी रात एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां वे अभी भी भर्ती हैं।
आसाराम के वकील निशांत बोरा ने स्पष्ट किया कि मामले की सुनवाई 2 अप्रैल को हुई थी। इस सुनवाई के दौरान पीड़िता के वकील पीसी सोलंकी ने आसाराम पर सुप्रीम कोर्ट की शर्त का उल्लंघन करने का आरोप लगाया, जिसमें उन्हें प्रवचन देने से मना किया गया था।
इस आरोप के बाद, राजस्थान हाईकोर्ट ने आसाराम को हलफनामा पेश करने का निर्देश दिया। निशांत बोरा ने बताया कि हलफनामा कोर्ट में पेश किया गया था। कोर्ट ने पूछा कि क्या आसाराम ने अंतरिम जमानत अवधि के दौरान प्रवचन दिया था। पीड़िता से भी हलफनामा मांगा गया था। पीड़िता के वकील ने दावा किया कि आसाराम ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित अंतरिम जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया है।
अंतरिम जमानत अवधि समाप्त होने के बाद आसाराम ने 1 अप्रैल को दोपहर 1.30 बजे जोधपुर सेंट्रल जेल में आत्मसमर्पण कर दिया था। करीब 10 घंटे जेल में बिताने के बाद उन्हें 1 अप्रैल को रात 11.30 बजे पाली रोड स्थित आरोग्यम निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। 3 अप्रैल को आसाराम फॉलो-अप चेकअप के लिए एम्स गए और उसी शाम आरोग्यम अस्पताल वापस आ गए। वह अभी भी इसी अस्पताल में भर्ती हैं।
28 मार्च को, गुजरात हाईकोर्ट ने आसाराम को दूसरी बार तीन महीने की अंतरिम जमानत दी थी। इसके बाद 1 अप्रैल को जब राजस्थान हाईकोर्ट फिर से शुरू हुआ तो आसाराम के वकील निशांत बोरा ने पहले दायर की गई याचिका पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया। अदालत ने 2 अप्रैल को मामले की सुनवाई की और करीब आधे घंटे के विचार-विमर्श के बाद, अदालत ने अगली सुनवाई सात अप्रैल के लिए निर्धारित करने का निर्णय लिया था।