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पटना। बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की एकीकृत 70वीं संयुक्त (प्रारंभिक) प्रतियोगिता परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर बड़ी संख्या में अभ्यर्थी धरने पर बैठे हैं। वहीं, इसे लेकर सियासत भी गर्म है। इस बीच बीपीएससी ने साफ कर दिया है कि प्रदेश के सभी केंद्रों पर पुनर्परीक्षा कराने का कोई आधार आयोग के समक्ष नहीं है।
बीपीएससी के परीक्षा नियंत्रक राजेश कुमार सिंह ने शनिवार को कहा कि आयोग एक संवैधानिक संस्था है, जिसका उद्देश्य अभ्यर्थियों के हित में पारदर्शी परीक्षाओं का आयोजन करना है। आयोग तथ्यहीन, निराधार, भ्रामक, सत्य से परे आरोपों एवं नारेबाजी के आधार पर किसी केंद्र की पुनर्परीक्षा कराने या न कराने के संबंध में निर्णय नहीं लेता है।
उन्होंने यह भी साफ किया, “आयोग किसी भी केंद्र की परीक्षा के संबंध में संबंधित जिला पदाधिकारी के माध्यम से प्राप्त प्रतिवेदन एवं अन्य प्रमाणों के आधार पर परीक्षा रद्द करने अथवा पुनर्परीक्षा कराने या न कराने का निर्णय लेता है।”
उन्होंने आगे कहा, “जहां तक पूरे राज्य में एकीकृत 70वीं संयुक्त (प्रा.) प्रतियोगिता परीक्षा की पुनर्परीक्षा कराने का प्रश्न है, उसमें अभी तक आयोग के समक्ष न ही किसी जिला पदाधिकारी द्वारा कोई प्रतिवेदन उपलब्ध कराया गया है और न ही अन्य स्रोतों से कोई साक्ष्य या प्रमाण प्राप्त हुए हैं, जिसके आधार पर पुनर्परीक्षा कराने का निर्णय लिया जा सके।”
उन्होंने बताया कि एकमात्र परीक्षा केंद्र, बापू परीक्षा परिसर, पटना के संबंध में जिलाधिकारी पटना से प्राप्त प्रतिवेदन एवं अन्य सोशल मीडिया पर प्रसारित वीडियो क्ल्पि एवं अन्य प्रमाणों के आधार पर इस केंद्र की पुनर्परीक्षा चार जनवरी को आयोजित करने का निर्णय आयोग ने लिया है।
उन्होंने से स्पष्ट कहा कि राज्य के अन्य 911 केंद्रों पर सम्मिलित परीक्षार्थियों के हितों को ध्यान में रखते हुए अन्य सभी केंद्रों पर पुनर्परीक्षा कराने का कोई आधार आयोग के समक्ष नहीं है।
परीक्षा नियंत्रक ने यह भी कहा है कि आयोग अपना निर्णय अत्यंत सावधानीपूर्वक और राज्य के युवा अभ्यर्थियों के हितों को ध्यान में रख कर लिया है। उन्होंने ऐसी स्थिति में अभ्यर्थियों से भ्रामक खबरों से दिग्भ्रमित नहीं होने की भी अपील की है।
उल्लेखनीय है कि सभी केंद्रों में परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर बड़ी संख्या में बीपीएससी के अभ्यर्थी पटना में धरने पर बैठे हैं।