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पाकिस्तान : खैबर पख्तूनख्वा के कुर्रम जिले में ताजा सांप्रदायिक हिंसा, मृतकों की संख्या बढ़कर हुई आठ

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अपडेटेड 18 जनवरी 2025, 5:45 PM IST
पाकिस्तान : खैबर पख्तूनख्वा के कुर्रम जिले में ताजा सांप्रदायिक हिंसा, मृतकों की संख्या बढ़कर हुई आठ
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बीएनटी न्यूज़

पेशावर। कुर्रम जिले की राजधानी पाराचिनार जा रहे सहायता काफिले पर हुए घातक हमले में लापता ड्राइवरों के चार और शव शनिवार को बरामद होने से मृतकों की संख्या बढ़कर आठ हो गई। पाकिस्तान के अशांत खैबर पख्तूनख्वा (केपी) प्रांत का कुर्रम जिला सांप्रदायिक हिंसा के बाद महीनों से देश के बाकी हिस्सों से कटा हुआ है। अब तक 150 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।

इलाके में खाद्य आपूर्ति और दवाओं की कमी के कारण दर्जनों महिलाओं और बच्चों की मौत होने की वजह से हताहतों की संख्या में बढ़ोतरी हुई।

हाल ही में विरोधी ग्रुप्स के बीच एक 14 सूत्री शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जिससे तबाह क्षेत्र में शांति की उम्मीद जगी थी।

हालांकि, राहत सहायता ले जा रहे काफिले पर गुरुवार को बड़ा हमला हुआ। कुर्रम के अतिरिक्त उपायुक्त (एडीसी) ने कहा, “हमला कम से कम पांच घंटे तक चला। पांच ड्राइवर लापता हो गए, जिनमें से चार के शव बरामद कर लिए गए। अब तक कुल मृतकों की संख्या आठ है, इनमें चार ड्राइवर और दो सुरक्षाकर्मी शामिल हैं।”

दूसरी ओर, पुलिस सूत्रों का कहना है कि अब तक कम से कम 10 लोग मारे गए हैं, जिनमें दो सुरक्षाकर्मी, चार ड्राइवर और चार नागरिक शामिल हैं। उनका कहना है कि छह ड्राइवर अभी भी लापता हैं। हमलावरों ने उन्हें रॉकेट और ऑटोमैटिक हथियारों का इस्तेमाल करके अगवा कर लिया था।

सुरक्षा बलों ने बताया कि जवाबी फायरिंग में छह हमलावर भी मारे गए।

35 वाहनों का यह काफिला, पाराचिनार में पहुंचाई जाने वाली सहायता सामग्री का दूसरा जत्था था। इसमें दवाइयां, सब्जियां, फल और अन्य खाद्य सामग्री शामिल थी। इसे पुलिस और फ्रंटियर कांस्टेबुलरी (एफसी) सहित सुरक्षा बलों द्वारा सुरक्षा प्रदान की जा रही थी।

इस ताजा हमले ने शांति समझौते को फिर से झकझोर दिया। इससे जिले में भय और अनिश्चितता का माहौल है।

एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “बंकर हटाने की प्रक्रिया फिलहाल रोक दी गई है। सुरक्षा चिंताओं के कारण जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति भी रोक दी गई है।”

अधिकारियों ने क्षेत्र में सभी प्रमुख रास्तों को बंद करना जारी रखा है, जिससे हजारों लोग भोजन, दवा और जरूरी चीजों के बिना रह रहे हैं।

एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया, “शिया और सुन्नी संघर्ष यहां दशकों से चल रहा है। हर बार वे तथाकथित शांति समझौतों पर हस्ताक्षर करते हैं। इस बार भी, एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। लेकिन जहां तक रास्तों और सप्लाई का सवाल है, जमीनी स्तर पर कोई प्रगति नहीं देखी गई है। हमारे परिवार यहां हर दिन भूख और चिकित्सा समस्याओं से तड़प रहे हैं,”

पाराचिनार में सांप्रदायिक संघर्ष नवंबर के आखिरी हफ्ते में शुरू हुआ था, जब एक बस पर हमला किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप 47 से अधिक लोगों की मौत हो गई। मृतकों में अधिकतर मुस्लिम थे। जवाबी कार्रवाई में शिया उग्रवादी समूहों ने सुन्नी गांवों पर हमला किया। तब से, यह क्षेत्र को देश के बाकी हिस्सों से अलग-थलग पड़ गया है।

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