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पाकिस्तान : अफगान शरणार्थियों के निर्वासन की समय सीमा नजदीक, अधिकारियों में भ्रम की स्थिति

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अपडेटेड 21 मार्च 2025, 3:11 PM IST
पाकिस्तान : अफगान शरणार्थियों के निर्वासन की समय सीमा नजदीक, अधिकारियों में भ्रम की स्थिति
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बीएनटी न्यूज़

इस्लामाबाद। पाकिस्तान में अफगान शरणार्थियों को वापस भेजने की समय-सीमा महज दस दिन दूर है लेकिन सरकार ने कोई दिशा-निर्देश तय नहीं किए हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक संघीय प्रशासन के तहत अफगान शरणार्थियों के लिए जिम्मेदार अफगान आयुक्तालय को सरकार से कोई आधिकारिक निर्देश नहीं मिला।

पाकिस्तान के प्रमुख दैनिक ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने शुक्रवार को बताया कि पाकिस्तान सरकार ने शरणार्थियों के प्रत्यावर्तन के संबंध में संबंधित अधिकारियों को कोई निर्देश जारी नहीं किया, जिससे उनके बीच भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है।

पाकिस्तान ने सभी अफगान शरणार्थियों को वापस भेजने के लिए 31 मार्च की समयसीमा तय की है। हालांकि, कुछ अफगान इस समयसीमा के बढ़ाए जाने की उम्मीद कर रहे हैं।

इस बीच पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की कि समयसीमा अभी लागू है।

इस हफ्ते की शुरुआत में अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने अफगान शरणार्थियों को धीरे-धीरे वापस भेजने की अपील की।

काबुल में राजनयिकों के लिए आयोजित इफ्तार पार्टी को संबोधित करते हुए, कहा कि पिछले चार दशकों में लाखों अफगान पाकिस्तान और ईरान सहित विभिन्न देशों में चले गए हैं। कार्यक्रम में पाकिस्तानी प्रभारी उबैदुर रहमान निजामनी भी मौजूद थे।

पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन ने मुत्तकी के हवाले से कहा, “शरणार्थियों का सम्मान किया जाना चाहिए और उनकी वापसी धीरे-धीरे और सम्मानजनक होनी चाहिए, कुछ समस्याएं हैं जो शरणार्थियों के एक साथ आने की तैयारी को मुश्किल बनाती हैं।”

पाकिस्तान पर अफगान शरणार्थियों को जबरन वापस भेजने का आरोप लगता रहा है। कई रिपोर्टों से पता चला है कि अफगान शरणार्थियों को पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर उत्पीड़न और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है।

ह्यूमन राइट्स वॉच की एशिया निदेशक एलेन पियर्सन ने कहा, “पाकिस्तानी अधिकारियों को अफगानों को घर वापस भेजने के लिए मजबूर करना तुरंत बंद कर देना चाहिए। निष्कासन का सामना कर रहे लोगों को सुरक्षा लेने की अनुमति देनी चाहिए।”

मानवाधिकार निगरानी संस्था के अनुसार, पाकिस्तानी पुलिस ने घरों पर छापे मारे, लोगों को पीटा और मनमाने ढंग से हिरासत में लिया, उनके शरणार्थी दस्तावेज जब्त कर लिए, जिनमें निवास परमिट भी शामिल है। उन्होंने अफगानों को पाकिस्तान में रहने की अनुमति देने के लिए रिश्वत भी मांगी।

संयुक्त राष्ट्र ने बताया कि अफगानिस्तान वापस लौटे अधिकांश अफगानों ने बताया कि उन्हें डर था कि कहीं पाकिस्तानी अधिकारी उन्हें हिरासत में ने डाल दे।

अफ़गान पत्रकार मसूद रहमती ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) में पंजीकृत या वैध निवास कार्ड रखने वाले अफगान भी पाकिस्तान में सुरक्षित नहीं हैं।

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