
बीएनटी न्यूज़
इस्लामाबाद। पाकिस्तान ने अफगान शरणार्थियों को जबरन वापस भेजने की प्रक्रिया तेज कर दी है। इसी के तहत 2,239 से ज्यादा अफगानों को तोरखम बॉर्डर के रास्ते अफगानिस्तान भेजा दिया गया।
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, 31 मार्च की तय समय सीमा खत्म होने के बाद गुरुवार को भी बड़ी संख्या में लोगों को वापस भेजने की प्रक्रिया जारी रही।
एक्सप्रेस ट्रिब्यून से बात करते हुए खैबर के डिप्टी कमिश्नर बिलाल शाहिद ने बताया कि जो शरणार्थी वापस भेजे जा रहे हैं, वे पंजाब और खैबर-पख्तूनख्वा के अलग-अलग जिलों में रह रहे थे। ट्रांजिट कैंप में पहुंचे लोगों में से 894 अफगान नागरिकों के पास कोई दस्तावेज नहीं थे, जबकि 636 के पास अफगान सिटीजन (एसीसी) कार्ड थे। इसके अलावा 709 अफगानों को पंजाब और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के अलग-अलग इलाकों से सीधे तोरखम बॉर्डर लाया गया।
बुधवार को अफगानिस्तान के उद्योग और व्यापार मंत्री नूरुद्दीन अजीजी की अगुवाई में एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान गया।
गुरुवार को जारी एक बयान में मंत्री ने कहा कि अफगान शरणार्थियों को वापस भेजने के मामले में किसी प्रभावी समाधान के लिए पाकिस्तान के साथ बातचीत करना बहुत जरूरी है।
अफगान सरकारी बख्तर समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्री ने शरणार्थियों की स्वैच्छिक वापसी की वकालत की और कहा कि इसमें यूएनएचसीआर (संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी) के तय किए गए नियमों का पालन किया जाना चाहिए, ताकि यह प्रक्रिया सुरक्षित और सम्मानजनक तरीके से हो।
पाकिस्तान से लौट रहे अफगान लोगों की संख्या बढ़ रही है। हाल ही में तोरखम बॉर्डर से अफगानिस्तान पहुंचे कई लोगों ने कहा कि अब उनके पास न तो रहने के लिए कोई घर है और न ही घर बनाने के लिए जमीन।
अफगान मीडिया चैनल टोलो न्यूज के मुताबिक, पाकिस्तान से निकाले गए प्रवासी मोहम्मद नबी ने कहा, “हम चाहते हैं कि हमारे लिए रोजगार के मौके पैदा किए जाएं। हमारे पास न घर है, न जमीन। हमारा सारा सामान पीछे छूट गया है। हमारे पास न कोई काम है और न ही किसी ने हमारे लिए रोजगार की व्यवस्था की है। लेकिन इस वक्त हमारी सबसे बड़ी ज़रूरत एक ठिकाना है।”
अफगान मीडिया के मुताबिक कई अफगान प्रवासियों ने बताया कि पाकिस्तान से निकाले जाने के दौरान पाकिस्तानी पुलिस ने उनके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया। पुलिस ने अलग-अलग बहानों से उनसे पैसे वसूले और उनका रवैया काफी कठोर था। जबरन निकाले गए शरणार्थियों ने यह भी कहा कि पाकिस्तानी ड्राइवरों ने उनकी मजबूरी का फायदा उठाया और उन्हें सफर के लिए बहुत ज्यादा किराया देना पड़ा।