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हांगकांग में अस्थिरता से स्थानीय लोगों को नुकसान

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अपडेटेड 10 जून 2020, 10:26 AM IST
हांगकांग में अस्थिरता से स्थानीय लोगों को नुकसान
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बीजिंग, 9 जून (आईएएनएस)| हांगकांग के मुद्दे पर अमेरिका, ब्रिटेन व अन्य पश्चिमी देश बेवजह हस्तक्षेप कर रहे हैं। हांगकांग के विरोध प्रदर्शनों के पीछे विदेशी शक्तियों का हाथ है। एशिया के इस प्रमुख वित्तीय केंद्र के बारे में पश्चिमी दुनिया तमाम तरह के सवाल उठाती है, जबकि अमेरिका में अश्वेत अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद हुए दंगों पर वैसी प्रतिक्रिया नहीं की जा रही है। इस तरह के दोहरे मापदंडों से वैश्विक शांति स्थापित नहीं हो सकती है।

इसके साथ ही यह भी स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि हांगकांग जैसे इंटरनेशनल फाइनेंशियल सेंटर में अस्थिरता और दंगों से स्थानीय नागरिकों को कोई लाभ नहीं मिलेगा। इसके उलट इकोनॉमी को नुकसान होगा और रोजगार संबधी तमाम समस्याएं पैदा होंगी। जाहिर है इसी को देखते हुए चीन की एनपीसी या नेशनल पीपुल्स कांग्रेस ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून पास किया है। लेकिन यह फैसला अमेरिका व ब्रिटेन आदि पश्चिमी देशों को हजम नहीं हो रहा है। वे चीन पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दे रहे हैं। यह उसी तरह है जैसे कि चीन अमेरिका या ब्रिटेन के किसी प्रांत में हो रहे प्रदर्शनों पर अपनी राय दे या हस्तक्षेप करे। शायद इसे वे स्वीकार नहीं कर पाएंगे। लेकिन हांगकांग के बारे में इन देशों के नेता लगातार बयान दे रहे हैं। चीन की ओर से कभी भी ब्रिटेन आदि के आंतरिक मुद्दों पर कोई दखल नहीं दिया गया। चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने भी इस तरह की बात की।

विश्व के कई जाने-माने विशेषज्ञ भी हांगकांग में बाहरी दखलंदाजी के खिलाफ हैं। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय यानी जेएनयू में चीनी भाषा के प्रोफेसर बी.आर. दीपक ने कुछ दिन पहले हमारे साथ विशेष बातचीत में हांगकांग के मामले पर विदेशी हस्तक्षेप बंद किए जाने पर जोर दिया था।

यहां बता दें कि ब्रिटेन भी बार-बार हांगकांग के मुद्दे पर अपनी नाखुशी जाहिर कर रहा है। जबकि चीन की ओर से इसका कड़ा विरोध किया गया है। चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने इस संदर्भ में ब्रिटिश विदेश मंत्री डोमिनिक राब के साथ फोन वार्ता की है। इस दौरान भी चीन की ओर से साफ-साफ कहा गया कि हांगकांग का मसला चीन का अंदरूनी मामला है। जिसमें विदेशी हस्तक्षेप बिल्कुल भी स्वीकार नहीं किया जा सकता है। यह भी बताना जरूरी है कि चीन कहता रहा है कि हांगकांग में एक देश दो व्यवस्थाओं वाला सिस्टम जारी रहेगा।

गौरतलब है कि हाल में हांगकांग के लिए जो राष्ट्रीय सुरक्षा कानून पारित किया गया है, उस पर कुछ देश ऐसी प्रतिक्रिया दे रहे हैं, मानो इससे हांगकांग की स्वायत्ता खत्म हो जाएगी और हांगकांग के नागरिकों के सारे अधिकार छिन जाएंगे। जबकि यह वहां की शांति और सुरक्षा और चीन के राष्ट्रीय हितों के लिहाज से उठाया गया कदम है। कोई भी देश अपने राष्ट्र की स्थिरता के लिए इस तरह का निर्णय ले सकता है, जैसा कि चीन सरकार ने लिया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि हांगकांग वासी शांति और स्थिरता चाहते हैं न कि दंगे व उत्पात। चीन की केंद्र सरकार इसका ध्यान रखते हुए यह आवश्यक कानून तैयार करेगी।

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