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महामारी के विरुद्ध : भारत और चीन को एक ही राह पर चलना चाहिए

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अपडेटेड 27 अप्रैल 2021, 3:14 PM IST
महामारी के विरुद्ध : भारत और चीन को एक ही राह पर चलना चाहिए
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महामारी के विरुद्ध : भारत और चीन को एक ही राह पर चलना चाहिए

बीजिंग, 27 अप्रैल (बीएनटी न्यूज़)| भारत वर्तमान में महामारी की दूसरी लहर से ग्रस्त रहा है। प्रतिदिन नए मामलों की संख्या लगभग साढ़े तीन लाख तक पहुंच गई है। उधर, चिकित्सा विशेषज्ञों का अनुमान है कि मौजूदा लहर मई के मध्य में अपने चरम पर पहुंच जाएगी, जब तक प्रतिदिन नए मामलों की संख्या पांच लाख तक पहुंच सकेगी। चिकित्सा संसाधनों की लिमिटेशन और नई दिल्ली जैसे प्रमुख शहरों में अस्पताल में बेड की सीमित संख्या को ध्यान में रखते हुए, महामारी के प्रसार को रोकने के लिए तत्काल और प्रभावी उपाय करना ही चाहिए।

महामारी कोई राष्ट्रीय सीमा नहीं मानता है, और लोगों का जीवन और स्वास्थ्य सभी से ऊपर होना चाहिए। महामारी को नियंत्रित करने के लिए, किसी भी स्रोत वाली महामारी-रोधी सामग्री, चिकित्सा संसाधन और विरोधी महामारी अनुभव की सहायता प्राप्त करना आवश्यक है।

उधर ‘इंडिया एक्सप्रेस’ में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि चीन ने महामारी को सफलतापूर्वक नियंत्रित किया है और भारत को महामारी को नियंत्रित करने में चीन से अनुभव सीखना चाहिए। चीन और भारत दोनों की एक अरब से अधिक जनसंख्या होती है। चीन ने बहुत ही कठोर विकेंद्रीकरण के उपायों को लागू किया है। सरकार ने महामारी की चुनौतियों का सामना करने के लिए सभी संसाधन जुटाए हैं। साथ ही चीन में मजबूत एंटी-महामारी शक्तियां और चिकित्सा सामग्री उत्पादन क्षमता भी हैं।

निस्संदेह, भारत में स्थिति अलग है। भारत के शहरी क्षेत्रों में इसी तरह के स्व-शासन संस्थान भी हैं, लेकिन भारत में सरकार और स्थानीय संस्थानों के बीच केंद्रीयकृत और समन्वित करने की मजबूत व्यवस्था कायम होनी चाहिए और केंद्र व विभिन्न राज्यों के बीच मजबूत संसाधन आवंटन प्रणाली स्थापित करने की बड़ी आवश्यकता है।

वायरस पूरी दुनिया का दुश्मन है, इसलिए महामारी को नियंत्रित करने के लिए किसी भी संसाधनों की सहायता से इनकार नहीं किया जाना चाहिए। वर्तमान में अमेरिका के पास मजबूत टीका उत्पादन क्षमता है, और अमेरिका को गंभीर रूप से प्रभावित क्षेत्रों को सहायता प्रदान करने की जिम्मेदारी है। हालांकि, अब तक अमेरिका की सहायता मौखिक बनी हुई है। ‘अमेरिका फस्र्ट’ का नारा स्पष्ट रूप से महामारी से लड़ने के लिए दुनिया के साथ सहयोग करने की भावना के खिलाफ है। आज अनेक देशों में महामारी के प्रति अमेरिकी सरकार की उदासीनता ने स्पष्ट रूप से लोगों की नाराजगी को जन्म दिया है और अमेरिका की कार्यवाही पूर्व में भारत द्वारा अमेरिका को दी गई चिकित्सा सहायता की तुलना में बिल्कुल अकारण है।

इस के विपरीत, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने हाल के दिनों में अनेक बार कहा है कि चीन महामारी को नियंत्रित करने के लिए भारत को आवश्यक सहायता प्रदान करने को तैयार है, विशेष रूप से वैक्सीन उत्पान करने के लिए उपयोगी कच्चे माल के प्रावधान में। ऐसे समय में अगर किसी भी राजनीतिक कारण से चीन की सद्भावना को अस्वीकार किया गया, तो वह भारतीय जनता के हित में नहीं है।

वास्तव में, भारत के कुछ व्यक्तियों ने चीन से ऑक्सीजन जनरेटर और अन्य उपकरणों का तत्काल आयात करना शुरू कर दिया है। महामारी के खिलाफ लड़ाई में चीन के साथ-साथ एक ही राह पर चलना भारत के लिए एक समझदारी विकल्प है।

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