BNT Logo | Breaking News Today Logo

Latest Hindi News

  •   गुरुवार, 15 मई 2025 04:55 AM
  • 34.81°C नई दिल्ली, भारत

    Breaking News

    ख़ास खबरें
     
  1. दरभंगा में राहुल गांधी के कार्यक्रम को नहीं मिली अनुमति, कांग्रेस ने पुनर्विचार का किया आग्रह
  2. सरकार जब देशहित में कदम उठाएगी, विपक्ष उनका साथ देगा : कृष्णा अल्लावारु
  3. आदमपुर एयरबेस जाकर प्रधानमंत्री ने पाकिस्‍तान को किया बेनकाब : हुसैन दलवई
  4. दो बार के ओलंपिक पदक विजेता नीरज चोपड़ा को लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद रैंक से सम्मानित किया गया
  5. पाकिस्तान का समर्थन करने वाले तुर्किये का गाजियाबाद के फल व्यापारियों ने किया बहिष्कार
  6. पाकिस्तान ने अपने साथी देशों के साथ मिलकर भारत के खिलाफ कैसे किया फेक न्यूज का प्रसार, ‘डिसइंफो लैब’ ने किया खुलासा
  7. एस जयशंकर की ऑस्ट्रियाई विदेश मंत्री से फोन पर बात, आतंकवाद के मुद्दे पर हुई चर्चा
  8. पीएम मोदी ने भारत के 52वें सीजीआई जस्टिस बीआर गवई को दी बधाई
  9. चीनी सरकारी मीडिया के खिलाफ भारत का एक्शन, फर्जी खबर फैलाने पर एक्स अकाउंट ब्लॉक
  10. तीनों सेनाध्यक्षों व सीडीएस ने राष्ट्रपति को दी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की जानकारी
  11. भारत-पाक सीजफायर के बाद श्रीनगर से जल्द रवाना होगा हज यात्रियों का दूसरा जत्था
  12. भारत के 52वें सीजीआई बने जस्टिस बीआर गवई, राष्ट्रपति ने दिलाई शपथ
  13. विफल राष्ट्र है पाकिस्तान, 75 सालों में सिर्फ आतंकवाद के बीज बोए : सीएम योगी आदित्यनाथ
  14. त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा की पारदर्शी भर्ती ने लोगों का दिल जीता
  15. अमृतसर में जहरीली शराब पीने से मरने वालों की संख्या बढ़कर 20 हुई

‘अपने नागरिकों की सोचे अमेरिका, दूसरों के मामलों में न दे दखल’

bntonline.in Feedback
अपडेटेड 29 दिसंबर 2021, 7:21 PM IST
‘अपने नागरिकों की सोचे अमेरिका, दूसरों के मामलों में न दे दखल’
Read Time:3 Minute, 38 Second

‘अपने नागरिकों की सोचे अमेरिका, दूसरों के मामलों में न दे दखल’

बीजिंग, 29 दिसंबर (बीएनटी न्यूज़)| आरोप लगाया जाता है कि अमेरिका दूसरे देशों के अंदरूनी मामलों में लगातार हस्तक्षेप करता है। अफगानिस्तान, सीरिया, इराक, चीन, ईरान व अन्य देश इसके उदाहरण कहे जा सकते हैं। चीन जैसे देशों ने कई बार इस पर सवाल भी खड़े किए हैं कि अमेरिका किस तरह अपने देश के भीतर की समस्याओं को नजरअंदाज करता है। लेकिन वह दूसरे संप्रभु राष्ट्रों के मामलों में बार-बार दखलंदाजी करता है। शिन्च्यांग, हांगकांग आदि को लेकर भी अमेरिका की यही नीति रही है। लेकिन वहीं दूसरी ओर विश्व में सबसे अधिक कोरोना संक्रमितों वाला देश अमेरिका है और वहां महामारी से मौतें भी सबसे ज्यादा हुई हैं। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा महामारी को हल्के में लिए जाने के कारण अमेरिका में बड़ी संख्या में लोगों को अपना जीवन गंवाना पड़ा। हालांकि अमेरिका नेता चीन पर आरोप लगाकर अपनी जिम्मेदारी से बचने में लगे रहे। इसका नतीजा हमने देखा कि महामारी ने भयावह रूप ले लिया।

इतना ही नहीं कोरोना महामारी की वजह से कई देशों में रोजगार का संकट खड़ा हुआ है, भविष्य में भी इससे निपटना आसान नहीं है। क्योंकि वायरस अपना स्वरूप बदल रहा है, जिससे विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर बुरा असर पड़ रहा है। अमेरिका भी इस मुसीबत का सामना कर रहा है। आंकड़ों के मुताबिक महामारी की अवधि में अमेरिका में लाखों नागरिक बेरोजगार हुए हैं। अमेरिका के श्रम विभाग व अन्य एजेंसियों ने इसकी पुष्टि की है।

गौरतलब है कि अमेरिका में कई चीनी कंपनियां मौजूद हैं, जिससे स्थानीय नागरिकों को रोजगार के व्यापक अवसर मिलते हैं। इसके बावजूद अमेरिकी प्रशासन ने चीन के साथ व्यापारिक रिश्तों को सुधारने के लिए कोई खास कदम नहीं उठाया। कोरोना संकट के दौरान भी चीनी कंपनियों को स्टॉक मार्केट से हटाने, उन पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश जारी रही। जबकि मानवाधिकार उल्लंघन के नाम पर शिनच्यांग के कपास, टमाटर व अन्य उत्पादों पर भी अमेरिका ने प्रतिबंध लगाया है।

पूर्व में भी चीन-अमेरिका व्यापारिक टकराव के कारण अमेरिका में करीब ढाई लाख लोगों को अपनी नौकरियां गंवानी पड़ी थी। जबकि कोरोना की वजह से भी लाखों लोगों के ऊपर बेरोजगारी का संकट छाया हुआ है।

ऐसे में अमेरिका को चाहिए कि वह अन्य देशों के भीतरी मामलों में हस्तक्षेप करने के बजाय अपने देश व नागरिकों के हितों के बारे में सोचे।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *