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टीटीपी को खत्म करने के लिए हक्कानी नेटवर्क पर दबाव बना रहा चीन

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अपडेटेड 09 नवंबर 2021, 3:37 PM IST
टीटीपी को खत्म करने के लिए हक्कानी नेटवर्क पर दबाव बना रहा चीन
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टीटीपी को खत्म करने के लिए हक्कानी नेटवर्क पर दबाव बना रहा चीन

नई दिल्ली, 9 नवंबर (बीएनटी न्यूज़)| पाकिस्तान का दावा है कि अगर आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के साथ बातचीत विफल हो जाती है, तो कुख्यात हक्कानी नेटवर्क, जो अब काबुल में ड्राइवर सीट पर है, उसका शिकार करेगा यानी उसे खत्म करेगा।

कट्टरपंथी आतंकी समूह टीटीपी और पाकिस्तान के बीच सुलह के लिए चल रही बातचीत के बीच यह चेतावनी सामने आई है। तालिबान सरकार के आंतरिक (गृह) मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी मध्यस्थता में भूमिका निभा रहे हैं। सिरराजुद्दीन आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क (एचक्यूएन) के भी मुखिया हैं।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा एचक्यूएन को एक आतंकवादी संगठन नामित किया गया है, जबकि अमेरिका ने सिराजुद्दीन हक्कानी को वाशिंगटन की सर्वाधिक वांछित सूची में घोषित किया है। सूत्रों के अनुसार, हक्कानी पर चीन की ओर से टीटीपी को वश में करने का दबाव है, जो पाकिस्तान में चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) की उसकी अरबों डॉलर की परियोजनाओं के लिए एक बड़ा खतरा रहा है। चीन ने तालिबान से यह भी वादा किया है कि अगर वे अपने देश में बुरे आतंकवादियों को खत्म करते हैं तो वह अफगानिस्तान में निवेश करेगा, लेकिन पहले उन्हें टीटीपी से निपटना होगा।

इस कारण से, हक्कानी एक अच्छे पुलिस वाले की भूमिका निभा रहा है और टीटीपी और पाकिस्तानी सरकार के बीच बातचीत की सराहना कर रहा है। हक्कानी ने टीटीपी और उसके उन सहयोगियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई का वादा किया है, जो सुलह के लिए तैयार नहीं हैं।

अफगानिस्तान में पाकिस्तान के राजदूत मंसूर अहमद खान ने द एक्सप्रेस ट्रिब्यून को बताया, जब हम किसी समस्या के समाधान के लिए जाते हैं, तो इससे निपटने के तरीके होते हैं। सैन्य कार्रवाई से निपटा जाएगा। आतंकवादी समूहों के भीतर ऐसे तत्व हैं, जो सुलह करने के इच्छुक हो सकते हैं और अन्य ऐसे हो सकते हैं, जिन्हें सैन्य कार्रवाई से निपटा जा सकता है।

इमरान खान सरकार पहले ही 100 से अधिक टीटीपी आतंकवादियों, शीर्ष कमांडरों को रिहा करने के लिए सहमत हो गई है, जिसमें खूंखार आतंकवादी बूचर ऑफ स्वाट यानी कसाई मुस्लिम खान भी शामिल है, जिसे पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। उसे दो चीनी कामगारों सहित 100 से अधिक लोगों की हत्या का दोषी ठहराया गया है। टीटीपी के अनुसार, कैदियों की रिहाई विश्वास बहाली के उपायों का पहला कदम है।

पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, देश भर में एक महीने के संघर्ष विराम पर सहमति बनी है, जिसे आगे बढ़ाया जा सकता है यदि वार्ता सही दिशा में आगे बढ़ती है। लेकिन टीटीपी ने स्पष्ट कर दिया है कि संघर्ष विराम टीटीपी सदस्यों की रिहाई के बाद प्रभावी होगा।

टीटीपी का प्रतिनिधित्व उसके प्रमुख मुफ्ती नूर वली महसूद के नेतृत्व में 14 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने किया है, जबकि पाकिस्तानी पक्ष का प्रतिनिधित्व सुरक्षा और आईएसआई अधिकारियों ने किया।

लेकिन जिस तरह से प्रधानमंत्री इमरान खान कट्टरपंथी इस्लामी ताकतों के सामने आत्मसमर्पण कर रहे हैं, उससे पाकिस्तानी सहज नहीं हैं। रविवार को इमरान खान सरकार ने अपने हजार कैदियों को रिहा करने के बाद तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) से प्रतिबंध हटा दिया है। अब इमरान खान पाकिस्तान के सबसे खूंखार संगठन टीटीपी के सामने सरेंडर कर रहे हैं।

पाकिस्तानी वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता अनीस जिलानी ने कहा, इमरान खान और अन्य लोगों को खुद से पूछना चाहिए, क्या वे वास्तव में एक चरमपंथी, हिंसक, प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन से बातचीत कर रहे हैं, जो बच्चों, सशस्त्र बलों और नागरिकों को मार रहा है? दिसंबर 2014 में पेशावर के एपीएस स्कूल में मारे गए बच्चों के माता-पिता पहले ही टीटीपी के साथ किसी भी समझौते का कड़ा विरोध कर चुके हैं और कह रहे हैं कि ये लोग उनके बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार थे। टीटीपी के अन्य शिकार भी हैं, जो समान रूप से गुस्से में हैं।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के नेतृत्व को अतीत में बातचीत के माध्यम से टीटीपी से निपटने के अपने असफल प्रयासों के साथ-साथ इससे देश को हुए नुकसान को याद करने की भी जरूरत है।

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