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ओमिक्रॉन काफी संक्रामक प्रतीत हो रहा है, मगर इसकी गंभीरता के बारे में अभी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं : शीर्ष वायरोलॉजिस्ट

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अपडेटेड 03 दिसंबर 2021, 3:34 PM IST
ओमिक्रॉन काफी संक्रामक प्रतीत हो रहा है, मगर इसकी गंभीरता के बारे में अभी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं : शीर्ष वायरोलॉजिस्ट
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ओमिक्रॉन काफी संक्रामक प्रतीत हो रहा है, मगर इसकी गंभीरता के बारे में अभी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं : शीर्ष वायरोलॉजिस्ट

नई दिल्ली, 03 दिसंबर (बीएनटी न्यूज़)| नया सुपर म्यूटेंट कोविड वैरिएंट ओमिक्रॉन बहुत ही संक्रामक प्रतीत हो रहा है। शीर्ष माइक्रोबायोलॉजिस्ट और वायरोलॉजिस्ट डॉ. गगनदीप कांग ने यह बात कही है।

डॉ. कांग की यह टिप्पणी ऐसे समय पर सामने आई है, जब भारत के कर्नाटक में गुरुवार को इस नए वैरिएंट केदो मामलों का पता चला है।

दक्षिणी अफ्रीका के बोत्सवाना में 8 नवंबर को लिए गए नमूने (सैंपल) से सबसे पहले इस वायरस का पता चला था। इसे आधिकारिक तौर पर 24 नवंबर को अधिसूचित किया गया था और दो दिनों के भीतर, इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा चिंताजनक वैरिएंट बता दिया गया। इसे वैरिएंट ऑफ कंसर्न (वीओसी) के रूप में नामित किए जाने के बाद चिंता बढ़ गई है।

वैश्विक स्वास्थ्य निकाय के अनुसार, वैरिएंट अब 23 अन्य देशों में फैल गया है। दक्षिण अफ्रीका में इसने कहर बरपाना शुरू कर दिया है और वहां कोविड संक्रमण के मामले अचानक दोगुने हो गए हैं।

आईएएनएस से बात करते हुए, कांग, जो वेलकम ट्रस्ट रिसर्च लेबोरेटरी, डिविजन ऑफ गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल साइंसेज, क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर के प्रोफेसर हैं, ने कहा, “हमने पिछले कुछ हफ्तों में भारत से दूसरे देशों और अन्य देशों से भारत की यात्रा काफी उचित तरीके से की है। अब, वैरिएंट 20 देशों तक पहुंच चुका है और यह केवल पांच दिनों में हुआ है, जबसे इस वैरिएंट का वर्णन किया गया है।”

प्रो. कांग ने कहा, “इस वैरिएंट के साथ चिंता इसलिए है, क्योंकि इसमें फिलहाल बहुत सारे म्यूटेशन हैं। स्पाइक प्रोटीन पर वैरिएंट में 30 से अधिक म्यूटेशन हैं।”

हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वर्तमान में वायरस की गंभीरता के बारे में अभी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। कांग ने कहा, “क्योंकि ज्यादातर मामले युवा लोगों में या यात्रियों में देखे जा रहे हैं, जिनकी आमतौर पर स्वस्थ होने की संभावना है।”

फिलहाल इस बात का भी कोई सबूत नहीं है कि इस पर वैक्सीन का कोई भी असर नहीं होगा। कांग ने कहा, “लेकिन कंप्यूटर मॉडलिंग डेटा के आधार पर, इसकी संभावना दिखती है, लेकिन जब तक हमारे पास प्रयोगशाला से और इस स्ट्रेन से संक्रमित लोगों से डेटा नहीं मिलता है और टीकाकरण के बाद ही हम बता सकते हैं कि स्ट्रेन के खिलाफ टीका प्रदर्शन कैसा होगा।”

इस बीच, डब्ल्यूएचओ ने कहा था कि ओमिक्रॉन एस-जीन में पाया जाता है, जो सार्स-सीओवी -2 के स्पाइक ग्लाइकोप्रोटीन को एनकोड करता है, जो वायरस कोविड-19 का कारण बनता है। इसके साथ ही यह विशेष रूप से सार्स-सीओवी-2 की उपस्थिति का पता लगाने के लिए भी लक्षित है।

प्रो कांग के अनुसार, इससे वैरिएंट की जल्द पहचान को बढ़ावा मिलेगा। एक बार पीसीआर परीक्षण हो जाने के बाद, यह तीन लक्षित जीनों की तलाश करता है: स्पाइक (एस), न्यूक्लियोकैप्सिड या आंतरिक क्षेत्र (एन 2) और बाहरी खोल। यदि एक एस जीन का पता लगाया जाता है, तो ओमिक्रॉन होने की संभावना नहीं है, इसके विपरीत यदि एक एस जीन का पता नहीं लगाया जाता है, तो व्यक्ति ओमिक्रॉन पॉजिटिव पाया जाएगा।

प्रो. कांग ने कहा कि भारत के पास वैरिएंट से लड़ने और देश में संभावित तौर पर आने वाली तीसरी लहर को रोकने के लिए उपयुक्त उपकरण हैं।

उन्होंने कहा, “हमें इस तथ्य से घबराना नहीं चाहिए कि एक नया वैरिएंट आ गया है। हमारे पास ऐसे मास्क हैं, जो सभी वैरिएंट्स को हमें संक्रमित करने से रोकते हैं। हमारे पास वैक्सीन नामक उपकरण (टूल) हैं, जो हमें अधिकांश वैरिएंट्स के खिलाफ कुछ स्तर की सुरक्षा प्रदान करने की संभावना रखते हैं।”

भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि कर्नाटक में ओमिक्रॉन के दो मामलों का पता चला है।

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के प्रमुख डॉ. बलराम भार्गव ने कहा, “दोनों व्यक्तियों ने दक्षिण अफ्रीका की यात्रा की थी। उनके संपर्कों की पहचान कर ली गई है और उनकी निगरानी की जा रही है।”

हालांकि, आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि उनमें से एक पहले ही ठीक हो चुका है और दूसरा क्वारंटीन है और उसे कोई लक्षण भी नहीं हैं और वह ठीक है।

प्रो कांग ने यह भी कहा, “तीसरी लहर पूरी तरह से वायरस पर निर्भर नहीं है। यह हमारे व्यवहार पर भी निर्भर है कि हम वायरस को फैलने से रोकने के लिए क्या करते हैं। और आज, हमारे पास शुरुआती समय की तुलना में बहुत अधिक उपकरण हैं। इसलिए मुझे नहीं लगता कि कुछ भी भविष्यवाणी करने का यह सही समय है।”

इंफोसिस के सह-संस्थापक और बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज, इंफोसिस साइंस फाउंडेशन के अध्यक्ष एस. गोपालकृष्णन के अनुसार, कोविड महामारी ने देश में वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया है। उन्होंने आगे कहा कि कोविड-19 ने लोगों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा की है।

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