BNT Logo | Breaking News Today Logo

Latest Hindi News

  •   मंगलवार, 06 मई 2025 03:31 AM
  • 25.09°C नई दिल्ली, भारत

    Breaking News

    ख़ास खबरें
     
  1. पहलगाम आतंकी हमले के बाद सरकार का सख्त निर्देश, देशभर में 7 मई को मॉक ड्रिल
  2. वक्फ कानून की वैधता पर नहीं आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला, अगली सुनवाई 15 मई को
  3. पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान हवाई क्षेत्र पर असर, लुफ्थांसा और एयर फ्रांस ने बदले रूट
  4. ‘एडीबी’ पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत की विकास प्राथमिकताओं का पूर्ण समर्थन करता है : मासातो कांडा
  5. एलओसी पर तनाव के बीच रक्षा सचिव ने पीएम मोदी से की मुलाकात, सैन्य तैयारियों की दी जानकारी
  6. पुतिन ने पीएम मोदी से की फोन पर बात, कहा- आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ रूस
  7. ‘ये सिर्फ पब्लिसिटी के लिए…’, पहलगाम हमले को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार
  8. कांग्रेस के नेता भारतीय सेना का गिरा रहे मनोबल, अपने किए पर करे गौर : सुधांशु त्रिवेदी
  9. ‘राफेल’ पर अजय राय का बयान, शर्मनाक और पूरी तरह अनुचित: तरुण चुघ
  10. राहुल गांधी का ऑपरेशन ब्लू स्टार को गलती मानना बड़ी बात: संजय राउत
  11. ममता बनर्जी के मुर्शिदाबाद दौरे पर दिलीप घोष ने उठाए सवाल, बोले- ‘पहले क्यों नहीं गईं’
  12. भारत सरकार ने न्यूज पोर्टल ‘बलूचिस्तान टाइम्स’ और ‘बलूचिस्तान पोस्ट’ का एक्स अकाउंट किया बैन
  13. हरियाणा के ‘आप’ प्रभारी ने पानी के मुद्दे पर पंजाब सरकार की गलती मानी
  14. ‘राफेल से नींबू-मिर्च कब हटेगा’, अजय राय का केंद्र सरकार पर तंज
  15. केरल: सांसद प्रियंका गांधी ने वन विभाग को एंबुलेंस की सौंपी चाबियां

पाकिस्तान की नई धार्मिक संस्था अल्पसंख्यकों को डाल सकती है खतरे में

bntonline.in Feedback
अपडेटेड 17 अक्टूबर 2021, 12:25 PM IST
पाकिस्तान की नई धार्मिक संस्था अल्पसंख्यकों को डाल सकती है खतरे में
Read Time:7 Minute, 16 Second

पाकिस्तान की नई धार्मिक संस्था अल्पसंख्यकों को डाल सकती है खतरे में

नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (बीएनटी न्यूज़)| पाकिस्तान सरकार ने धार्मिक निकाय रहमतुल-लील-अलामीन प्राधिकरण (आरएए) की स्थापना के लिए एक अध्यादेश पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे आशंका है कि यह देश के प्रभावशाली मौलवियों को और सशक्त करेगा और महिलाओं एवं धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कमजोर करेगा।

डीडब्ल्यू ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में यह दावा किया है।

पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने गुरुवार को आरएए की स्थापना से संबंधित अध्यादेश जारी किया। निकाय एक चेयरमैन और छह सदस्यों से बना होगा, जिसमें प्रधानमंत्री इमरान खान समिति के संरक्षक या पैटर्न-इन-चीफ होंगे।

अवामी वर्कर्स पार्टी की नेता शाजिया खान ने डीडब्ल्यू को बताया कि आरएए के परिणामस्वरूप न केवल पाकिस्तान में चरमपंथियों में वृद्धि हो सकती है, बल्कि महिलाओं और धार्मिक अल्पसंख्यकों को भी खतरा हो सकता है।

खान ने कहा, यदि कोई महिला किसी भी मुद्दे पर अपरंपरागत विचार व्यक्त करती है, तो इन मौलवियों द्वारा उसे तुरंत एक विधर्मी घोषित किया जा सकता है, जिससे उनका जीवन खतरे में पड़ सकता है।

लाहौर स्थित ईसाई अधिकार कार्यकर्ता पीटर जैकब ने डीडब्ल्यू को बताया कि आरएए का निर्माण पाकिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यकों को और भी दबा सकता है।

जैकब ने कहा, पाकिस्तानी मौलवियों के अत्यधिक सामाजिक प्रभाव के कारण अल्पसंख्यक पहले से ही सोशल मीडिया पर खुलकर अपने विचार व्यक्त करने से हिचक रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब यह प्राधिकरण उनकी शक्तियों को और संस्थागत करेगा।

उन्होंने आगे कहा, वर्तमान में यह व्यक्तिगत मौलवी हैं, जो सोशल मीडिया पर किसी भी सामग्री को गैर-इस्लामी या ईशनिंदा करार दे सकते हैं, लेकिन अब एक प्राधिकरण के सदस्य ऐसा कर सकते हैं और वह न केवल अल्पसंख्यकों, बल्कि धर्मनिरपेक्ष और उदार पाकिस्तानियों के अस्तित्व के लिए भी खतरा पैदा कर सकते हैं।

पाकिस्तान के पास पहले से ही सरकार से विस्तारित समर्थन के साथ कई इस्लामी निकाय हैं।

काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियोलॉजी सरकार को सलाह देती है कि वह प्रस्तावित कानूनों को इस्लामिक या गैर-इस्लामी मानती है या नहीं। परिषद इस्लामी मौलवियों और विद्वानों से बनी है, जो पाकिस्तानी सांसदों को सलाह देते हैं।

2016 में, परिषद के एक अध्यक्ष ने संवाददाताओं से कहा था कि पति अपनी पत्नियों के साथ हल्की-फुल्की मारपीट तो कर ही सकते हैं।

पाकिस्तान के एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार के मुताबिक, मुहम्मद खान शेरानी ने कहा, “यदि आप चाहते हैं कि वह अपने तरीके सुधारे, तो आपको पहले उसे सलाह देनी चाहिए.. अगर वह मना करती है, तो उससे बात करना बंद कर दें.. उसके साथ बिस्तर साझा करना बंद करें और अगर चीजें नहीं बदलती हैं, तो थोड़ा सख्त हो जाएं।”

परिषद ने यह भी कहा कि महिलाओं के लिए आश्रयों में शरण लेना गैर-इस्लामिक है।

पाकिस्तान में एक शरिया अदालत भी कई सालों से अस्तित्व में है।

प्रमुख कार्यकर्ता परवेज हुडभॉय ने डीडब्ल्यू को बताया कि खान ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिनके बारे में पाकिस्तान के मौलवियों ने हमेशा सपना देखा है।

परवेज ने कहा, उन लोगों को उन्हें पुश करने (किसी चीज पर जोर देने) की जरूरत नहीं है। वह अपने दम पर पाकिस्तान को पुश कर रहे हैं।

परवेज ने कहा कि खान ने अपनी सार्वजनिक छवि को सुधारने और ऐतिहासिक शख्सियत सलादीन की तरह इस्लाम के रक्षक के रूप में याद किए जाने के लिए धार्मिक निकाय की स्थापना की है। उन्होंने आरएए को एक हथकंडा करार दिया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि खान ने यह भी घोषणा की है कि इस्लामोफोबिया का मुकाबला करने के लिए पाकिस्तान तुर्की और अन्य इस्लामी देशों के सहयोग से एक टीवी चैनल स्थापित करेगा। मई में, उन्होंने झेलम जिले के सोहावा में आध्यात्मिक अल-कादिर विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी थी।

खान की पीत्न बुशरा बीबी ने लाहौर में सूफियों एवं धार्मिक नेताओं पर शोध के लिए समर्पित एक ई-लाइब्रेरी का उद्घाटन किया। पंजाब सरकार ने धार्मिक विषयों पर शोध करने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए छात्रवृत्ति शुरू की है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि लाहौर की वकील आबिदा चौधरी ने कहा कि जैसे-जैसे पूरे पाकिस्तान में धार्मिक निकाय सत्ता हासिल कर रहे हैं, सामाजिक और आर्थिक विकास को कमजोर किया जा रहा है।

चौधरी ने कहा, यह नया अधिकार रूढ़िवादी मौलवियों से भी भरा होगा। एक ओर, सरकार स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा के लिए बजट में भारी कटौती कर रही है और दूसरी ओर, धार्मिक निकाय जिनका 21वीं सदी में कोई औचित्य नहीं है, का गठन किया जा रहा है।

चौधरी ने सरकार को सलाह देते हुए आगे कहा कि कृपया धर्म को राज्य के मामलों में न घसीटें और इसे एक व्यक्तिगत मामला रहने दें और सामाजिक मुद्दों पर ध्यान दें।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *