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आर्थिक संकट में उलझा पाकिस्तान : आईएमएफ या व्यापारी किसकी सुनेगी शहबाज सरकार ?

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अपडेटेड 29 जनवरी 2025, 9:46 PM IST
आर्थिक संकट में उलझा पाकिस्तान : आईएमएफ या व्यापारी किसकी सुनेगी शहबाज सरकार ?
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बीएनटी न्यूज़

इस्लामाबाद। आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए परेशानियां कम नहीं हो रही हैं। एक तरफ उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने आगाह किया कि वह अपनी बेलआउट योजना और प्रतिबद्धताओं पर कायम रहे, वहीं देश के निजी व्यापार क्षेत्र की ओर से सार्वजनिक-निजी भागीदारी कार्यक्रमों के जरिए नए अवसर खोलने और रोजगार सृजन की मांग बढ़ रही है। वहीं सरकार धैर्य रखने की सलाह दे रही है।

पाकिस्तान के लिए नए आईएमएफ रेजिडेंट प्रतिनिधि माहिर बिनिसी ने इस्लामाबाद से सुधारों को लागू करने की अपील की, जो लंबे समय में लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो सकेत हैं।

पाकिस्तान बार काउंसिल (पीबीसी) में ‘अर्थव्यवस्था पर संवाद’ नामक एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए बिनिसी ने कहा, “पाकिस्तान की नजरें अपने लक्ष्य पर होनी चाहिए उसे आईएमएफ कार्यक्रम के उद्देश्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहने की जरुरत है। साथ ही उसे सुधारों को लागू करने के लिए धैर्य रखने की जरुरत है, ताकि लोगों को इसका लाभ मिल सके।”

आईएमएफ के रेजिडेंट प्रतिनिधि का बयान ऐसे समय में आया जब पाकिस्तान का व्यापारिक समुदाय प्रांतीय और संघीय सरकार के पास शिकायतें, चिंताएं और सिफारिशें लेकर जा रहा है। सार्वजनिक-निजी भागीदारी के अधिक रास्ते खोलने की मांग की जा रही है।

प्रसिद्ध शेयर व्यापारी और आरिफ हबीब ग्रुप के संस्थापक आरिफ हबीब ने शहबाज शरीफ सरकार से अपील की कि वह तत्काल सार्वजनिक-निजी भागीदारी ढांचे के साथ आगे बढ़ने के महत्व को समझे।

हबीब ने कहा, “पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर केवल 0.92 प्रतिशत रही। बेरोजगारी तेजी से बढ़ रही है और व्यापारिक समुदाय के लिए ज्यादा मौके नहीं हैं। वास्तव में, घाटे के कारण व्यवसाय बंद हो रहे हैं या अपना परिचालन कम कर रहे हैं।” उन्होंने यह बात सिंध प्रांत के मुख्यमंत्री मुराद अली शाह और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के नेता बिलावल भुट्टो जरदारी के साथ व्यापारिक समुदाय की एक बैठक के दौरान कही।

हबीब ने कहा, “सरकार को सार्वजनिक-निजी भागीदारी पर विचार करना चाहिए, जिससे व्यवसायियों के लिए दरवाजे खुलेंगे और नौकरियां पैदा होंगी, बेरोजगारी की समस्या से निपटा जा सकेगा।”

हालांकि, सरकार का कहना है कि आर्थिक संकट को तुरंत हल नहीं किया जा सकता है और सुधारों के सकारात्मक प्रभाव आने वाले दिनों में दिखाई देंगे।

वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने कहा, “स्थिरता से विकास की ओर कोई ऑटोमैटिक बदलाव नहीं होता। हमें अर्थव्यवस्था के डीएनए को बदलने की जरूरत है, ताकि आर्थिक विकास में किसी भी नए उछाल के बाद भुगतान संतुलन के किसी भी नए संकट से बचा जा सके।”

अर्थशास्त्री शाहबाज राणा के मुताबिक, “आईएमएफ चाहेगा कि पाकिस्तान अपनी प्रतिबद्धता को समझे और उसके कार्यक्रम को पूरा करे। यह ऐसे किसी भी नए उपाय की अनुमति नहीं देगा जो कार्यक्रम को पटरी से उतार सकता है।’

बिनिसी ने पाकिस्तान सरकार को याद दिलाया कि उसका ध्यान सुधार एजेंडे पर बना रहना चाहिए। उन्होंने कहा, “उद्देश्य मजबूत, टिकाऊ अधिक समावेशी विकास हासिल करना है। गड़बड़ियों को कम करके, राज्य के हस्तक्षेप को समाप्त कर और विभिन्न प्रकार की रियायतों को हटाने से टिकाऊ विकास हासिल किया जा सकता है।”

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