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विजय माल्या और नीरव मोदी को भी पीछे छोड़ा 2,600 फर्जी कंपनियां और रु15,000 रुपये का घोटाला

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अपडेटेड 26 सितंबर 2023, 5:21 PM IST
विजय माल्या और नीरव मोदी को भी पीछे छोड़ा 2,600 फर्जी कंपनियां और रु15,000 रुपये का घोटाला
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नोएडा के थाना सेक्टर 20 पुलिस और टेक्निकल टीम ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है जो फर्जी डेटाबेस के जरिए फर्जी फर्म जीएसटी नम्बर सहित बनाकर सरकार के हजारों करोड़ के राजस्व का नुकसान पहुंचा रहे थेI पुलिस ने गिरोह के मास्टरमाइंड सहित आठ लोगों को गिरफ्तार किया हैI इनके कब्जे से 2,660 फर्जी जीएसटी फॉर्म, 24 कंप्यूटर, कई फर्जी आधार कार्ड और करीबन आठ लाख लोगों का डेटा बरामद किया हैI एक चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस ने पश्चिम बंगाल, दिल्ली, गाजियाबाद और चंडीगढ़ में छापेमारी की।
जानकारी के मुताबिक बीते मई के महीने में थाना सेक्टर 20 पुलिस को एक व्यक्ति ने शिकायत दी थी कि उसके पे कार्ड पर फर्जी फर्म तैयार करके जीएसटी का हेरफेर किया गया हैI शिकायत मिलने के बाद थाना सेक्टर 20 पुलिस टेक्निकल सर्विलांस के माध्यम से छानबीन में जुट गई थीI जिसके बाद पुलिस ने इस पूरे नेक्सेस का खुलासा किया है. पूछताछ में आरोपियों ने बताया है कि ये लोग फर्जी फर्म GST नंबर सहित बनाकर बिना माल की डिलीवरी किए फर्जी बिल तैयार करके जीएसटी रिफंड लेकर सरकार के राजस्व को हजारों करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचा रहे थेI
पिछले 5 सालों से यह गिरोह संगठित रूप से इस तरह के फर्जी फार्म तैयार करने में लगे हुए थेI यह गिरोह 2 टीम बनाकर काम किया करते थेI पहली टीम फर्जी दस्तावेजों जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, रेंट एग्रीमेंट, इलेक्ट्रिसिटी बिल आदि का उपयोग करके फर्जी फर्म जीएसटी नंबर तैयार करते थेI वहीं दूसरी टीम फर्जी फर्म जीएसटी नंबर सहित को पहले टीम से खरीद कर फर्जी बिल का उपयोग करके जीएसटी रिफंड आईटीसी इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त करके भारत सरकार को हजारों करोड़ रुपए के राजस्व का चूना लगा रहे थेI
लालच देकर करता था फर्जीवाड़ा
इस गिरोह की पहली टीम फर्जी फर्म तैयार करने के लिए सर्विस प्रोवाइडर कंपनी जस्ट डायल के माध्यम से अवैध रूप से डाटा खरीदते थेI उसके बाद छोटे कॉलोनी और मोहल्लों में रहने वाले शराबी लोगों को रु1,000-1 रु1,500 का लालच देकर उन्हें भ्रमित करके उनके आधार कार्ड से फर्जी मोबाइल सिम नंबर रजिस्टर करवाते थेI उसके बाद इस टीम द्वारा ऑनलाइन रेंट एग्रीमेंट और इलेक्ट्रिसिटी बिल को फर्जी तरीके से डाउनलोड किया जाता था. इसी तरह यह टीम डाउनलोड किए गए रेंट एग्रीमेंट, इलेक्ट्रिसिटी बिल को एडिट करके फर्म का फर्जी एड्रेस तैयार करते थेI
इस तरह करता था रजिस्टर
जिन शराबी लोगों का आधार कार्ड यह लोग लेते थे उस काम पर पैन कार्ड डाटा सर्च किया जाता थाI जैसे ही आधार कार्ड में रोहित नाम के किसी डेटा के 80 नाम कॉमन पाए जाते थे तो ऐसे सभी 80 नामों की पैन कार्ड पर रोहित नाम के आधार कार्ड और अन्य फर्जी दस्तावेजों को शामिल करके फर्जी फर्म रजिस्टर करवा कर उसके जीएसटी नंबर रजिस्टर करवाने के लिए reg.gst.gov.in लॉगइन करते थेI आरोपियों के इस टीम द्वारा जीएसटी पोर्टल में फर्म रजिस्ट्रेशन करने के लिए लॉगिन करने के दौरान जीएसटी विभाग द्वारा एक वेरिफिकेशन कोड भेजा जाता था जो इनके द्वारा आधार से रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर पहुंच जाता थाI जिसे ये जीएसटी पोर्टल पर डालकर वेरीफाई करके एक फर्जी फर्म जीएसटी नंबर सहित रजिस्टर करवा लेते थेI
मास्टरमाइंड को पुलिस ने किया गिरफ्तार
आरोपियों के पहले टीम द्वारा रजिस्टर करवाए गए फर्म सहित को ऑन डिमांड आरोपियों की दूसरी टीम को प्रति फर्म रु80,000 से रु90,000 के हिसाब से बेच देते थेI पुलिस को इस टीम से अब तक 2,660 फर्जी GST फर्म तैयार किए जाने के जानकारी हाथ लगी हैI पहली टीम से फर्म जीएसटी सहित खरीदने के बाद आरोपियों की दूसरी टीम फर्म जीएसटी नंबर सहित का उपयोग करके बिना माल का आदान प्रदान किए फर्जी बिल तैयार करते थेI उसके बाद फर्जी बिल का उपयोग करके भारत सरकार से जीएसटी रिफंड करा लेते थेI
उनके द्वारा एक फर्जी फर्म से एक महीने में रु2- रु3 करोड़ का फर्जी बिल का उपयोग किया जाता थाI फिलहाल पुलिस ने इस गिरोह को चलाने वाले मास्टरमाइंड पति-पत्नी सहित 8 लोगो गिरफ्तार किया हैI नोएडा पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने गुरुवार को बताया कि आरोपी दिल्ली-गाजियाबाद के तीन स्थानों पर ऑफिस खोलकर फर्जीवाड़ा कर रहे थे। आरोपियों के पास से फर्जी दस्तावेजों से तैयार 2600 से अधिक कंपनियों की सूची भी मिली है। पुलिस ने सरगना दीपक मुरजानी, विनीता, अश्वनी, यासीन, आकाश सैनी, राजीव, अतुल और विशाल को दिल्ली से गिरफ्तार किया है।जबकि 7 लोग अभी फरार है जिनके तलाश में पुलिस जुटी है. इनके द्वारा अब तक रु10 हज़ार करोड़ के हर फेर की बाते सामने आई हैI पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने बताया कि गिरोह में 50 से अधिक लोगों के शामिल होने की जानकारी मिली है, जो देश के अलग-अलग हिस्से में बैठकर आरोपियों के साथ ठगी कर रहे थे। पुलिस मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के लिहाज से भी जांच कर रही हैI इनकम टैक्स सहित केंद्रीय एजेंसियों को भी मामले की जानकारी पुलिस ने दी हैI
इस तरह के घोटालों से एक तरफ जहां राजस्व की घोर हानि होती है वहीं दूसरी तरफ लोगों का विश्वास कानून व्यवस्था और तंत्र पर shake होता है। लोगों में यह भावना घर कर रही है कि घोटालेबाज़ों का कुछ नहीं होगा। यह एक आम धारणा है कि ये घोटालेबाज अपनी money power एवं contacts का इस्तेमाल कर बच निकलेंगे। घोटालेबाज़ों का राजनैतिक गठजोड़ भी एक बड़ी समस्या है। निष्पक्ष जांच नहीं हो पाती। Investigating Agencies पर political pressure डाला जाता है। घोटालेबाज़ों को कानून का कोई भय नहीं क़ानूनों को कठोरता से लागू किया जाना चाहिए। जांच time-bound manner में की जानी चाहिए। संपत्तीयां जब्त कर नीलामी होनी चहिएI Financial crime के मामले लंबे समय तक अदालतों में लंबित नहीं रहने चाहिए।  इनका fast-track कोर्ट में priority से निपटारा होना चाहिए। जरा सोचिए! फैसला आप खुद कीजिये

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