
CBI ने भ्रष्टाचार के एक बड़े मामले का खुलासा किया है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली PSU कंपनी WAPCOS (वॉटर एंड पॉवर कंसल्टेंसी) लिमिटेड के पूर्व CMD (चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर) राजेंद्र कुमार गुप्ता के ठिकानों पर छापेमारी के दौरान केंद्रीय जाँच एजेंसी को रु20 करोड़ से भी अधिक नकद बरामद करने में सफलता मिली है। मंगलवार (2 मई, 2023) को ये कार्रवाई हुई।
WAPCOS को ‘Water and Power Consultancy Services (India) Limited’ के नाम से जाना जाता है। ये एक पब्लिक सेक्टर कंपनी है, जो पूरी तरह केंद्र सरकार के मालिकाना हक़ में आती है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय इसके संचालन का काम देखता है। WAPCOS की साइट पर जानकारी दी गई है कि ये कंपनी भारत और विदेशों दोनों में, व्यवसाय और समुदाय से संबंधित पानी, बिजली और इंफ़्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों में इंजीनियरिंग कंसल्टेशन सर्विसेज और निर्माण-कार्य का जिम्मा सँभालती है।
राजेंद्र गुप्ता पर आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया था। CBI ने दिल्ली, चंडीगढ़, गुरुग्राम, सोनीपत और गाजियाबाद में 19 ठिकानों पर छापेमारी की। इनमें आरोपितों से जुड़े आवासीय और कमर्शियल परिसर शामिल थे। CBI ने इस मामले में राजेंद्र गुप्ता के अलावा उनके परिवार के सदस्यों पत्नी रीमा सिंगल, बेटे गौरव सिंगल और बहू कोमल सिंगल के खिलाफ भी FIR दर्ज की थी।
बड़ी मात्रा में आभूषण, कीमती सामान और संपत्तियों के दस्तावेज भी एजेंसी के हाथ लगे हैं, जिनका कोई हिसाब-किताब नहीं है। छापे में मिली नकदी की गिनती के दौरान मंगलवार को रु20 करोड़ घोषित हुए थे, जबकि बुधवार को पूरी रकम की गिनती के बाद रु38 करोड़ से ज्यादा की बरामदगी की घोषणा की गई है। कुछ डिजिटल उपकरणों को भी CBI ने अपने कब्जे में ले लिया है।
जांच के दौरान ये पाया गया है कि वॉटर एंड पावर कंस्लटेंसी सर्विस (इंडिया) के पूर्व सीएमडी राजेन्द्र कुमार ने एक अप्रैल 2011 से लेकर 31 मार्च 2019 के बीच अपनी सर्विस के दौरान आय से कई गुणा अधिक संपत्ति हासिल की, जो अब जांच एजेंसी के रडार पर है। जांच एजेंसी के अधिकारी के मुताबिक आरोपी राजेन्द्र कुमार गुप्ता अपनी नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद दिल्ली में एक प्राइवेट कंपनी को ज्वाइन करके कंस्लटेंसी का काम कर रहे थे। उसी दौरान उन्होंने काफी चल-अचल संपत्तियों को गलत तरीके से अर्जित किया। सीबीआई ने WAPCOS के पूर्व CMD राजिंदर कुमार गुप्ता और उसके बेटे गौरव सिंघल को गिरफ्तार कर लिया है।
इस तरह के घोटालों से एक तरफ जहां राजस्व की घोर हानि होती है वहीं दूसरी तरफ लोगों का विश्वास कानून व्यवस्था और तंत्र पर shake होता है। लोगों में यह भावना घर कर रही है कि घोटालेबाज़ों का कुछ नहीं होगा। यह एक आम धारणा है कि ये घोटालेबाज अपनी money power एवं contacts का इस्तेमाल कर बच निकलेंगे।
घोटालेबाज़ों का राजनैतिक गठजोड़ भी एक बड़ी समस्या है। निष्पक्ष जांच नहीं हो पाती। Investigating Agencies पर political pressure डाला जाता है। कानून की दृष्टि में सभी बराबर हैं। लेकिन क्या हकीकत में ऐसा है।
जांच time-bound manner में की जानी चाहिए। संपत्तीयां जब्त कर नीलामी होनी चहिएI Financial crime के मामले लंबे समय तक अदालतों में लंबित नहीं रहने चाहिए। इनका fast-track कोर्ट में priority से निपटारा होना चाहिए। जरा सोचिए! फैसला आप खुद कीजिये