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एक्सिस म्यूचुअल फंड घोटाला लैंबॉर्गिनी ने रु1,000 करोड़ के घोटाले का खुलासा किया

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अपडेटेड 26 सितंबर 2023, 5:29 PM IST
एक्सिस म्यूचुअल फंड घोटाला  लैंबॉर्गिनी ने रु1,000 करोड़ के घोटाले का खुलासा किया
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एक लैंबॉर्गिनी ने संभवत: एक्सिस म्युचुअल फंड में कथित रूप से रु1,000 करोड़ के घोटाले का पर्दाफाश कर दिया। यह मामला एक्सिस म्युचुअल फंड से जुड़ा है। म्युचुअल फंड के हेड ट्रेडर और फंड मैनेजर वीरेश जोशी और एक अन्य फंड मैनेजर दीपक अग्रवाल पर फ्रंट रनिंग का आरोप लगा है। फ्रंट रनिंग का मतलब होता है कि ब्रोकर को पहले से ही स्टॉक के बारे में इनसाइट जानकारी मिली हुई है। भारत में यह अवैध है।

म्यूचुअल फंड निवेशक, जो अभी फ्रैंकलिन टेम्पलटन के शीर्ष अधिकारियों द्वारा कथित अनियमितताओं से पूरी तरह उबरने ही लगे थे, को एक और झटका लगा, जिसमे एक्सिस म्यूचुअल फंड ने शुक्रवार को दो फंड प्रबंधकों को गंभीर उल्लंघन के लिए निलंबित कर दिया। एक्सिस म्यूचुअल फंड, सामूहिक रूप से रु2.59 लाख करोड़ के निवेश का प्रबंधन करता है, पिछले दो वर्षों से संदिग्ध फ्रंट रनिंग पर बाजार नियामक सेबी के लेंस के अधीन थ। लाइव मिंट ने सूत्रों के हवाले से बताया। शुरुआती जांच में नौ शेयरों में बढ़त की ओर इशारा किया गया है, जिससे रु170 करोड़ का लाभ मिल सकता था।

सूत्रों के मुताबिक, दो फंड मैनेजर वीरेश जोशी और दीपक अग्रवाल ने ‘फ्रंट रनिंग’ के जरिए गलत तरीके से मुनाफा कमाया। जिन लोगों पर फ्रंट रनिंग का आरोप होता है, वे किसी विशेष स्टॉक में किसी बड़े लेन-देन के बारे में पहले से जानकारी प्राप्त करने के बाद, व्यापार निष्पादित होने से पहले व्यक्तिगत खाते के माध्यम से उस स्टॉक में निवेश करते हैं। एक बार जब ब्रोकर बड़े ऑर्डर को निष्पादित करता है, तो शेयर की कीमत बढ़ जाती है और ब्रोकर लाभ कमाने के लिए अपने शेयर बेच देता है।

इन दिनों यह बात चर्चा में है कि फ्रंट रनिंग में शामिल फंड मैनेजर लैंबॉर्गिनी में घूमता था और मुम्बई तथा उसके आसपास उसने कई लग्जरी अपार्टमेंट खरीदे थे। चर्चा में है कि वीरेश जोशी ने इस तरह से रु500 करोड़ बनाये और मुम्बई के आसपास उसके 14 अपार्टमेंट हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि वीरेश जोशी ही स्मॉल और मिडकैप स्टॉक में पैसा लगाता था और उनके निश्चित सीमा पर पहुंचने पर म्युचुअल फंड कंपनी निवेश करती थी।

यह भी चर्चा है कि ये फंड मैनेजर ब्रोकर के पेरोल पर थे और म्युचुअल फंड के हवाले से स्मॉल और मिडकैप स्टॉक में पैसा लगाते थे।एक्सिस म्युचुअल फंड ने चार मई से फंड मैनेजर्स की जिम्मेदरियों में फेरबदल की है लेकिन इसमें वीरेश जोशी का नाम शामिल नहीं है। इसी तरह दीपक अग्रवाल का नाम भी नहीं है।

कहा जा रहा है कि बाजार नियामक सेबी भी इस मामले की जांच कर रहा है लेकिन इसकी तत्काल पुष्टि नहीं हो सकी है। बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) किसी भी व्यक्ति के खिलाफ अदालत में आपराधिक कार्यवाही शुरू कर सकता है, जो अनुचित व्यापार प्रथाओं में शामिल है, जिसमें फ्रंट रनिंग भी शामिल है। सेबी (प्रतिभूति बाजार से संबंधित धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार प्रथाओं का निषेध) या सेबी (पीएफयूटीपी) विनियम, 2003 के तहत, कोई भी व्यक्ति जो धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार प्रथाओं में लिप्त है, उस पर रु25 करोड़ तक का जुर्माना लगाया जा सकता है, या ऐसी प्रथाओं से होने वाले लाभ का तीन गुना, जो भी अधिक हो।

एक्सिस म्युचुअल फंड ने एक्सिस आर्बिट्रेज फंड, एक्सिस बैंकिंग ईटीएफ, एक्सिस कंजप्शन ईटीएफ, एक्सिसस निफ्टी ईटीएफ और एक्सिस टेक्नोलॉजी ईटीएफ में प्रबंधकीय बदलाव किये हैं। ट्वीटर पर की गई टिप्पणियों से यह लग रहा है कि दोनों फंड मैनेजर बर्खास्त कर दिये गये हैं।ऐसा भी कहा जा रहा है कि सीईओ चंद्रेश निगम भी पद से हटाये गये हैं क्योंकि उन्होंने इस तरह की घटनाओं की अनदेखी की।

यह पहली बार नहीं है जब भारत के शेयर बाजार से जुड़े फ्रंट रनिंग के मामले ने सुर्खियां बटोरी हैं। पिछले साल, सेबी ने रिलायंस कैपिटल म्यूचुअल फंड से जुड़े तीन व्यक्तियों को फ्रंट रनिंग ट्रेडों के लिए छह महीने के लिए पूंजी बाजार में भाग लेने से रोक दिया था। दिसंबर 2020 में, नियामक ने 16 संस्थाओं को पूंजी बाजार से सात साल तक के लिए फ्रंट रनिंग में शामिल होने से रोक दिया। 16 संस्थाओं में से छह को लगभग रु20 करोड़ के अवैध लाभ का भुगतान करने के लिए कहा गया था।

क्या यह आम निवेशकों को लूटने का एक षड़यंत्र है ? क्यों सालो की जांच के बाद भी जांच एजेंसीज सच्चाई का पता नहीं लगा पाई ? SEBI जांच धीमी क्यों है ? क्या कुछ लोगो को फायदा पहुँचाया गया ? क्या यह आम निवेशकों के साथ धोखा नहीं ? जरा सोचिये, फैसला आप खुद कीजिये !

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