BNT Logo | Breaking News Today Logo

Latest Hindi News

    Breaking News

    ब्रेकिंग न्यूज़
     
  1. इजराइल में केरल के 7,000 लोग, विजयन ने जयशंकर को लिखा पत्र
  2. लोक सभा की विशेषाधिकार समिति के सामने पेश नहीं हुए रमेश बिधूड़ी
  3. यूपी के 100 प्रतिशत गांवों को ओडीएफ होने पर पीएम ने सराहा
  4. प्रभास-स्टारर ‘सालार पार्ट 1 – सीजफायर’ की टक्कर शाहरुख की ‘डंकी’ से, 22 दिसंबर को होगी रिलीज
  5. भारत के साथ रचनात्मक व गंभीर जुड़ाव जारी रखना बेहद महत्वपूर्ण: ट्रूडो
  6. बलात्कार पीड़िता ने कर लिया आत्मदाह, चार दिनों के संघर्ष के बाद हॉस्पिटल में ली आखिरी सांस
  7. सरकार ने अरुणाचल और नगालैंड के कुछ हिस्सों में अफ्सपा को 1 अक्टूबर से 6 महीने के लिए बढ़ाया
  8. खालिस्तानी आतंकवादियों, समूहों के खिलाफ एनआईए की देशव्यापी छापेमारी
  9. यूक्रेनी नाजी इकाई के लड़ाके को ‘हीरो’ कहने वाले कनाडाई संसद के अध्यक्ष ने दिया इस्तीफा
  10. ‘कैंपस बीट्स’ पर शांतनु माहेश्वरी ने कहा, ‘डांस के प्रति मेरे जुनून और प्यार ने मुझे आगे बढ़ाया
  11. यूपी के निजी क्लिनिक में एसी चालू छोड़ने से ठंड से दो नवजात की मौत, डॉक्टर गिरफ्तार
  12. एक्स पर मासिक शुल्‍क की खबरों के बाद डोरसी के ब्लूस्काई पर यूजर बढ़े
  13. कर्नाटक बीजेपी टिकट घोटाला: पूछताछ के दौरान महिला हिंदू कार्यकर्ता बेहोश
  14. 24 घंटे में साइबर ठगों ने उड़ाए 82 लाख रुपये
  15. ओरेकल व माइक्रोसॉफ्ट ने ग्राहकों को क्लाउड पर मदद करने को संबंधों का किया विस्तार
 
 

करुवन्नूर बैंक घोटाला – रु350 करोड़

bntonline.in Feedback
अपडेटेड 25 सितंबर 2023, 5:14 PM IST
करुवन्नूर बैंक घोटाला – रु350 करोड़
Read Time:9 Minute, 40 Second

फर्जी नाम पर बाँटे लोन, फिर करोड़ों का वसूली नोटिस
विपक्ष ने बताया – केरल का सबसे बड़ा घोटाला

केरल के त्रिशूर जिले के इरिंजालकुडा क्षेत्र में स्थित करुवन्नूर सेवा सहकारी बैंक में हुए कर्ज घोटाले के मामले में विपक्ष ने सत्ताधारी LDF सरकार पर आरोप लगाया है। विपक्ष ने कहा कि यह केरल के इतिहास की सबसे बड़ी बैंक लूट है और सीपीएम के नेतृत्व ने इस पर कार्रवाई करने की बजाय घोटाले के आरोपितों को संरक्षण देने का काम किया है।

करुवन्नूर सेवा सहकारी बैंक को सीपीएम नियंत्रित करती है। कर्ज घोटाले के संबंध में विधानसभा में चर्चा करने के लिए प्रस्ताव पेश करते हुए कॉन्ग्रेस विधायक शफ़ी पराम्बिल ने कहा कि यह घोटाला केरल के इतिहास का सबसे बड़ा बैंक घोटाला है और इस घोटाले के आगे तो पॉपुलर हीस्ट सीरीज (money heist) भी फीकी दिखाई दे रही है। पराम्बिल ने बताया कि यह कर्ज घोटाला लगभग रु350 करोड़ का है।

पराम्बिल ने यह भी आरोप लगाया कि करुवन्नूर बैंक की गवर्निंग काउंसिल के कुछ सदस्यों द्वारा बैंक को लूटे जाने की जानकारी मिलने के बाद भी सीपीएम नेतृत्व ने घोटाले को दबाए रखा और गवर्निंग काउंसिल को निलंबित करने के स्थान पर घोटाले के आरोपितों को संरक्षण प्रदान करने के काम किया गया। विपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने भी सवाल उठाया कि घोटाला 2018 में ही सामने आया था, उसके 3 साल बाद (23 जुलाई 2021) को गवर्निंग काउंसिल को बर्खास्त किया गया। सतीशन का यहाँ तक कहना है कि घोटाले की जाँच कर रहे सीपीएम के नेता घोटाले से पूरी तरह से परिचित थे। ऐसे में जब अपराध हुआ है तो क्या इस मुद्दे को पार्टी के अंदर सुलझाया जाना पर्याप्त है।

रजिस्ट्रार ऑफ को-ऑपरेटिव सोसाइटीज ने केरल के करुवन्नूर को-ऑपरेटिव बैंक के
एडमिनिस्ट्रेटर पैनल को भंग कर दिया। यह फ़ैसला यहां हुए घोटाले के बाद लिया गया है। इस एक्शन के बाद रजिस्ट्रार ऑफ को-ऑपरेटिव सोसाइटीज ने इसके लिए एक एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त किया है जो Karuvannur को-ऑपरेटिव बैंक के प्रति दिन के कामकाज की निगरानी करेगा।

ऐसे हुआ करोड़ों के कर्ज का खेल

पराम्बिल ने घोटाले के संबंध में एक महिला का उदाहरण दिया जो राष्ट्रीय बैंक से कर्ज लेना चाहती थी। महिला एक राष्ट्रीयकृत बैंक में ऋण लेने के लिए गई, लेकिन वहाँ इस मामले में गिरफ्तार आरोपित अरुण किरण उसे मिला और उसने महिला को करुवन्नूर सेवा सहकारी बैंक से कर्ज लेने के लिए कहा। इसके बाद महिला ने लोन के लिए सहकारी बैंक में सभी दस्तावेज जमा कर दिए। उसके बाद महिला ने इस बैंक के अधिकारियों से कोई संपर्क नहीं किया और ना ही उसके दस्तावेज ही वापस मिले।

पराम्बिल ने बताया कि कुछ समय के बाद उस महिला के पास रु3 करोड़ जमा करने का नोटिस आ गया, जबकि उस महिला को बैंक से एक रुपए का कर्ज नहीं मिला था।

पराम्बिल ने आरोप लगाते हुए कहा कि कर्ज देने के लिए 50 काल्पनिक नामों का प्रयोग किया गया और प्रत्येक को रु50-50 लाख का कर्ज करुवन्नूर बैंक से दिया गया। इसके अलावा, कई ऐसे भी कर्जधारक थे जिन्होंने बैंक से रु13 से रु26 करोड़ रुपए तक का कर्ज लिया, लेकिन उसे चुकता नहीं किया। रिपोर्ट के मुतबाकि, घोटालेबाजों ने शुरू में रु50,000 का कर्ज दिया और उसके बाद दस्तावेजों पर हस्ताक्षर के बाद रु50 लाख का कर्ज लिया। खास बात ये है कि जिनके नाम पर ये धोखाधड़ी की गई, वो भी सीपीएम के ही समर्थक हैं।

बैंक की शुरुआत 1921 में हुई थी

हाल के दिनों तक Karuvannur को-ऑपरेटिव बैंक की स्थानीय तौर पर अच्छी साख थी। इसके पास रु290 करोड़ का डिपॉजिट और लगभग रु270 करोड़ की लोन बुक थी। बैंक पर वाम दलों का नियंत्रण है और इन दलों के सदस्य इसके एडमिनिस्ट्रेटिव पैनल में शामिल थे। बैंक की वेबसाइट के अनुसार इसकी पांच शाखा और त्रिसुर में एक एक्सटेंशन काउंटर है। बैंक की शुरुआत 1921 में हुई थी और इसके डायरेक्टर बोर्ड में 13 सदस्य हैं। बोर्ड के अध्यक्ष के के दिवाकरण हैं, जो एक स्थानीय सीपीएम नेता हैं।

फर्जी कर्ज, 46 खाते: कैसे हुआ फ्रॉड

सहकारी समितियों के संयुक्त रजिस्ट्रार द्वारा ऑडिट में पाया गया कि इन संपत्ति दस्तावेजों का इस्तेमाल बैंक अधिकारियों, निदेशक बोर्ड के सदस्यों और स्थानीय रियल एस्टेट माफिया से संबंधित कुछ व्यक्तियों के गठजोड़ द्वारा फिर से उधार लेने के लिए अवैध रूप से किया गया था। बैंक में पहले से ही गिरवी रखे गए संपत्ति के उन्हीं दस्तावेजों का उपयोग करके और नकली हस्ताक्षर और लेटर हेड का उपयोग करके ऋण लिया गया था। स्थानीय रिपोर्टों में कहा गया है कि प्रारंभिक अनुमानों से पता चलता है कि 46 दस्तावेज गिरवी रखे गए थे और पैसा अलग-अलग खातों में जमा किया गया था।

सहकारिता विभाग द्वारा संयुक्त रजिस्ट्रार को सौंपी गई रिपोर्ट और ग्राहकों की शिकायतों के आधार पर अधिकारियों ने धोखाधड़ी का शुरुआती आकलन किया है। जानकारी यह भी सामने आई है कि मामले के मुख्य आरोपित माने जा रहे बैंक के पूर्व मैनेजर एमके बीजू ने ही 379 कर्जों को पारित करने में अहम भूमिका अदा की थी। फ़िलहाल इरिंजालकुडा पुलिस ने मामले में बैंक के दस्तावेजों को जब्त कर लिया है, लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं की गई है। मामले की जांच क्राइम ब्रांच कर रही है।

रिपोर्ट के मुताबिक, इस बैंक में पाँच साल में रु300 करोड़ से अधिक का घोटाला हुआ है। सहकारी क्षेत्र के नियमों के अनुसार, कुल निवेश का केवल 70 प्रतिशत ही बैंक ऋण के रूप में जारी कर सकता है। लेकिन ऐसे सभी नियमों का उल्लंघन करते हुए बैंक ने 2018-19 में रु437.71 करोड़ के ऋण जारी किए, जबकि कुल निवेश सिर्फ 401.78 करोड़ रुपए ही था। बैंक फ्रॉड के मामले में इससे पहले इरिंजालकुडा पुलिस ने रु120 करोड़ की धोखाधड़ी की शिकायत पर बैंक के पूर्व सचिव और प्रबंधक सहित छह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। हालाँकि, अब पता चला है कि घोटाला पहले शिकायत की गई रकम से तीन गुना अधिक है। पुलिस का कहना है कि ठगी 2014 से 2020 के बीच हुई।

यह सोचने का विषय है की क्या लोकतन्त्र मे वाकयी जनता की, जनता के लिए, जनता द्वारा सरकारे हैI क्या नेताओ, अफसरो व सरकार की कोई जवाबदेही नहीं? क्या इनपर कोई कानून लागू नहीं होता? आज जब कानूनी संस्थानो पर भी शक्तिशाली का साथ देने का व उनके साथ मिलीभगत की चर्चा आम है, तो ऐसे मे जनता को जागरूक होकर अपने हक के लिए बुलंद होना जरूरी हो जाता हैI जरा सोचिए, फैसला आप खुद कीजिये!

0 0
Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleppy
Sleppy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %
ये भी पढ़े

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *