
दुनियाभर में 9 दिसम्बर को अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार दिवस मनाया जाता है। इस बार अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोध दिवस का थीम ‘आपका अधिकार, आपकी भूमिका: भ्रष्टाचार को ना कहें’ रखा गया। इसका मकसद भ्रष्टाचार के प्रति लोगों की जागरूक करना और इसके खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए उन्हें प्रेरित करना होता है, क्योंकि वैश्विक समाज में यह उस दीमक की तरह है, जो हर किसी को किसी न किसी रूप में प्रभावित करता है।
भ्रष्टाचार किस तरह से हम सभी के जीवन को प्रभावित करता है, इसे समझने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि यह आखिर है क्या? सीधे और सरल शब्दों में समझें तो कानून व नैतिक मूल्यों की उपेक्षा करके किसी भी जायज या नाजायज काम के लिए दिया जाने वाला अनुचित लाभ ही भ्रष्टाचार है। यह आर्थिक या किसी अन्य रूप में भी हो सकता है। जब यह लाभ आर्थिक रूप में होता है तो इसे रिश्वत कहा जाता है।
रू70 लाख करोड़ चढ़ जाते हैं रिश्वत की भेंट
दुनिया में रिश्वत का लेन-देन किस तरह होता है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक अनुमान के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर हर साल करीब 1 ट्रिलियन डॉलर यानी लगभग रू70 लाख करोड़ रिश्वत की भेंट चढ़ जाते हैं, जबकि भ्रष्टाचार के माध्यम से करीब रू300 लाख करोड़ हर साल चोरी हो जाता है। इसे और अधिक आसान शब्दों में समझने का प्रयास करें तो यह रकम वैश्विक GDP का करीब 5 फीसदी होता है।
इन आंकड़ों से जाहिर होता है कि भ्रष्टाचार किस तरह वैश्विक समाज को दीमक की तरह खा रहा है। खासतौर पर विकासशील देशों में यह एक गंभीर अपराध है, जहां सामाजिक और आर्थिक विकास की गति पहले ही बहुत धीमी है। यह न केवल विकास को प्रभावित करता है, बल्कि करोड़ों लोगों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य जनसुविधाओं पर भी असर डालता है और अंतत: मानवाधिकारों के उल्लंघन की वजह बनता है।
इस बार रखी गई है खास थीम
ऐसे में भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों की जागरुकता बेहद अहम है, ताकि वे इसे सीधे नकार सकें, जो अंतत: हर आदमी के हक को प्रभावित करता है। भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों को प्रेरित करने और इसके खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए हर साल अलग-अलग थीम के साथ यह दिन मनाया जाता है। इस बार अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोध दिवस का थीम ‘आपका अधिकार, आपकी भूमिका: भ्रष्टाचार को ना कहें’ रखा गया है।
भ्रष्टाचार के लिए आम तौर पर सरकारी तंत्र को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है, लेकिन इसके लिए निजी कंपनियां और आम लोग भी कम जवाबदेह नहीं होते। कई बार आम लोग भी कई तरह के झंझटों, परेशानियों से बचने और समय की कमी का रोना बताकर अधिकारियों की नाजायज मांगें मान लेते हैं, जो अंतत: भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है। ऐसे में आम लोगों को भी खास सतर्कता बरतने की जरूरत है। ऐसी ‘अनुचित’ मांगों को लेकर वे भ्रष्टाचार विरोधी शाखा या सतर्कता आयोग से शिकायत कर सकते हैं।
ऐसे हुई शुरुआत
अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोध दिवस मनाने के लिए पहला कदम दिसंबर 2003 में संयुक्त राष्ट्र ने यूनाइटेड नेशनल कन्वेंशन अगेन्स्ट करप्शन (UNCAC) पारित करके बढ़ाया था। इसे 31 अक्टूबर, 2003 को तैयार किया गया था। संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राष्ट्रों ने इस संधि पर 9 दिसंबर को हस्ताक्षर किया था। भारत 9 दिसंबर, 2006 को इससे जुड़ा था। इस अंतरराष्ट्रीय संधि का मूल उद्देश्य भ्रष्टाचार को कम करने के लिए सदस्य राष्ट्रों में कानून-व्यवस्था को लागू करना था।
2020 में, भारत इस लिस्ट में 77 वें स्थान पर था, लेकिन 44 के स्कोर के साथ अपनी रैंक से 5 पायदान नीचे खिसक गया है। बता दें कि 2021 के करप्शन इंडेक्स में, भारत विश्व रैंकिंग में 194 देशों में से 82वें स्थान पर है। TRACE द्वारा तैयार की गई सूची के अनुसार, 2021 में उत्तर कोरिया और तुर्कमेनिस्तान में भ्रष्टाचार का सबसे अधिक जोखिम था, जबकि डेनमार्क, नॉर्वे और फिनलैंड जैसे स्कैंडिनेवियाई देशों में सबसे कम भ्रष्टाचार है। हालांकि, भारत ने चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अन्य पड़ोसी देशों से बेहतर प्रदर्शन किया। केवल भूटान ने 62वां स्थान प्राप्त किया है, जो सीमावर्ती देशों में भारत से अधिक है।
भारत में भ्रष्टाचार
भारत में राजनीतिक एवं नौकरशाही का भ्रष्टाचार बहुत ही व्यापक है। इसके अलावा न्यायपालिका, मीडिया, सेना, पुलिस आदि में भी भ्रष्टाचार व्याप्त है। भारत में राजनीतिक एवं नौकरशाही का भ्रष्टाचार की घटिया लोकतत्रात्मक व्यवस्था है। जिसमें शीर्ष पर बैठा व्यक्ति सीधा जनता के प्रति जवाबदेह नहीं है। जैसे – प्रधानमंत्री बनने के लिए शीर्ष नेता को सांसदो का ख्याल रखना पड़ेगा ना कि जनता का। इसी तरह मुख्यमंत्री या कोई अन्य पद। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया और लोकल सर्किल ने ‘इंडिया करप्शन सर्वे 2019’ की रिपोर्ट में बताया है भारत में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार (26%) संपत्ति निबंधन और भूमि से जुड़े मामलों है। भ्रष्टाचार और घूसखोरी के मामले में पुलिस दूसरे स्थान (19%) पर है। घूस लेने के मामले नगर निगम (13%) से जुड़े है। भारत के राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, झारखंड और पंजाब में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार है।
भ्रष्टाचार में मुख्य घूस यानी रिश्वत, चुनाव में धांधली, ब्लैकमेल करना, टैक्स चोरी, झूठी गवाही, झूठा मुकदमा, परीक्षा में नकल, परीक्षार्थी का गलत मूल्यांकन, हफ्ता वसूली, जबरन चंदा लेना, न्यायाधीशों द्वारा पक्षपातपूर्ण निर्णय, पैसे लेकर वोट देना, वोट के लिए पैसा और शराब आदि बांटना, पैसे लेकर रिपोर्ट छापना, अपने कार्यों को करवाने के लिए नकद राशि देना यह सब भ्रष्टाचार है। भारत में गरीबी, संसाधनों की कमी, असमानता, उच्च पदों व् संस्थाओ में बिना रीढ़ के लोग आदि भ्रष्टाचार के प्रमुख कारण है। यह चक्र लोकतंत्र के पहले कदम चुनावी चंदे से शुरू हो जाता है और शुरू हो जाता है नेताओ, अफसरों व् व्यापारियों में लेन-देन का कारोबार। जनता का जीवन दयनीय होता जाता है। इसलिए जनता का जागरूक होना व् सामाजिक संस्थाओ में सुचरित्र लोगो का पदासीन होना जरूरी है। जरा सोचिये, फैसला आप खुद कीजिये।