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एक और बैंकिंग घोटाला

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अपडेटेड 26 सितंबर 2023, 5:17 PM IST
एक और बैंकिंग घोटाला
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संघवी भाइयों के स्वामित्व वाली हीरा फर्म ने IDBI बैंक का रू6,710 करोड़ डिफॉल्ट किया
नीरव मोदी के बाद से अब तक का सबसे बड़ा मामला

तीन गुजराती व्यापारियों कीर्तिलाल आर. संघवी, चंद्रकांत आर. संघवी और रमेशचंद्र आर. संघवी के स्वामित्व वाली हीरा कारोबार करने वाली कंपनी सांघवी एक्सपोर्ट्स इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड का कथित तौर पर एक बड़ा बैंकिंग डिफॉल्ट सामने आया है। इन हीरा व्यापारियों ने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के स्वामित्व वाले आईडीबीआई बैंक का रू6,710 करोड़ का डिफॉल्ट किया है। समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, संघवी पर बकाया राशि में 161,000 डॉलर से अधिक या लगभग रू1.20 करोड़ से अधिक का एक महत्वपूर्ण विदेशी मुद्रा घटक शामिल है।

गुजराती व्यवसायी नीरव मोदी और मेहुल चौकसी की तरफ से पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में रू14,000 करोड़ से अधिक का डिफॉल्ट करने के बाद इसे भारतीय बैंक इतिहास में हीरा उद्योग की दूसरी सबसे बड़ी डिफॉल्ट की घटना माना जा रहा है। यह घटना सामने आने के बाद दोनों भारत छोड़कर भाग गए।

एलआईसी के आईपीओ पर पड़ेगा असर

बता दें कि, यह ख़बर ऐसे समय में आई है जब सरकार के स्वामित्व वाली आईडीबीआई अगले साल अपने आईपीओ लॉन्च करने की तैयारी में लगी हुई है। आईडीबीआई ने तो अपने डिफॉल्टर्स से रकम वसूलने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, लेकिन इससे बड़े नुकसान हो सकते हैं। इस डिफॉल्ट की वजह से एलआईसी के आईपीओ की प्रक्रिया पर भी असर पड़ सकता है।

इन कंपनियों के खिलाफ शुरू हुई कार्रवाई

अपने ऋणों में चूक करने वाली कंपनी संघवी एक्सपोर्ट्स इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड है, जिसमें संघवी उनके तीन प्रमुख निदेशक हैं। आईडीबीआई बैंक की तरफ से मुंबई बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लैक्स स्थित सांघवी एक्सपोर्ट्स इंटरनेशनल और उसकी 4 सहायक कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई है। ये चार सहायक कंपनियां हैं- संघवी डायमंड्स मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड, सांघवी ज्वैलरी मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड, सांघवी स्टार रिटेल प्राइवेट लिमिटेड और रॉयल स्टेट होल्डिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड। इनकी दो फैक्ट्री गुजरात के सूरत के अलावा मुंबई में हैं। इन कंपनियों के 13 उच्च अधिकारियों और गारंटर के खिलाफ भी वसूली की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

3 साल पहले ही मिलने लगे थे संकेत

अक्टूबर 2018 में इस बड़े डिफॉल्ट के संकेत मिलने लगे थे। बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले एक कंसोर्टियम ने बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लैक्स स्थित भारत डायमंड बाजार में सांघवी एक्सपोर्ट्स पर लगभग रू468 करोड़ नहीं चुकाने का आरोप लगाया था। इसे लेकर बैंक कंसोर्टियम ने सांघवी एक्सपोर्ट्स की संपत्तियों को जब्त भी कर लिया था। उस वक्त बैंकिंग जानकार इसे चौंकाने वाली घटना मान रहे थे और साथ ही इस बात को लेकर सवाल भी उठ रहे थे कि आखिर खराब रेकॉर्ड के बावजूद कंपनी को इतना बड़ा लोन कैसे दिया गया। अब ऑल इंडिया एसोसिएशन के प्रमुख विश्वास उटागी ने इस मामले में सीबीआई जांच कराने की मांग उठाई है और यह सुनिश्चित करने को भी कहा है कि मेहुल चौकसी और नीरव मोदी की तरह आरोपी देश छोड़कर ना भागने पाएं। साथ ही ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के नेता विश्वास उतागी ने नए खुलासे को ‘वास्तव में आश्चर्यजनक’ करार दिया और आश्चर्य जताया कि यह घोटाला इतने लंबे समय तक कैसे सार्वजनिक नहीं किया गया।

आईडीबीआई बैंक के भ्रामक स्पष्टीकरण

एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में शक्तिशाली ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (एआईबीओए) ने बुधवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से आईडीबीआई बैंक लिमिटेड द्वारा हाल ही में एक हीरा व्यापारी समूह संघवी एक्सपोर्ट्स के ऋण चूक के खुलासे की जांच की मांग की। आरबीआई गवर्नर को लिखे पत्र में बताया गया है कि कैसे आईडीबीआई बैंक लिमिटेड के पहले सार्वजनिक नोटिस (दिनांक 19 दिसंबर) में रू6,700 करोड़ से अधिक की बड़ी राशि, साथ ही लगभग रू1.20 करोड़ के बराबर विदेशी मुद्रा (यूएसडी) ऋण का उल्लेख किया गया था। हालांकि, आईडीबीआई बैंक का कहना है कि डिफॉल्ट करने वाले हीरा व्यापारी पर सैद्धांतिक रूप से केवल रू16.72 करोड़ बकाया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, आईडीबीआई बैंक ने अपनी बकाया राशि की वसूली के लिए आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी है। बैंक ने मीडिया में चल रही रू6,710 करोड़ की डिफॉल्ट वाली खबर का खंडन किया है। इस बीच, बैंकिंग सर्किलों ने 21 दिसंबर को आईडीबीआई बैंक के स्पष्टीकरण को अपने सार्वजनिक नोटिस में चौंकाने वाली, भ्रामक और गलत जानकारी का उल्लेख किए बिना स्पष्ट रूप से बेईमानी मानकर खारिज कर दिया और संबंधित एजेंसियों द्वारा सटीक सच्चाई का खुलासा किए जाने के लिए अलग से जांच की मांग की।

क्यों IDBI बैंक को बार-बार स्पष्टीकरण बदलने पड़े ? क्या संघवी ब्रदर्स भी नीरव मोदी व् विजय मल्ल्या की तरह देश से भाग जायेगे ? क्यों सालो तक होने दिए जाते हैं बैंको से फ्रॉड ? क्यों सरकार व शासन के बदलने के बाद भी जनता के जीवन मे कोई बदलाव नहीं आता? क्यों चलती है जांच कछुए की चाल से? क्यों होते है सरकारी बैंक मे घोटाले के बाद घोटले? क्या सरकारी तंत्र, बैंकिंग व्यवस्था व कानून सब मिलकर जनता के पसीने की कमाई पर डाका डाल रहे है? क्या यह रु6700 करोड़ कभी वापिस आ पाएगा? जरा सोचिए, फैसला आप खुद कीजिये।

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