
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक बयान में कहा कि यह मामला एक बड़े घोटाले से संबंधित है, जिसमें छत्तीसगढ़ में वरिष्ठ नौकरशाहों, व्यापारियों, राजनेताओं और बिचौलियों से जुड़ा एक समूह ढुलाई किये जाने वाले प्रति टन कोयले पर अवैध रूप से रु25 रुपये का कर वसूल रहा है।
यह समूह कथित तौर पर अवैध कर वसूली की समानांतर प्रणाली चला कर प्रतिदिन लगभग रु2-3 करोड़ अर्जित कर रहा है। जांच एजेंसी ने इस सप्ताह की शुरुआत में छत्तीसगढ़ में कई जगह छापे मारने के बाद बृहस्पतिवार को भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी समीर विश्नोई और दो अन्य को गिरफ्तार किया था। इस घटना से राज्य के प्रशासनिक कार्यालयों में हड़कंप मच गया।
राज्य की राजधानी रायपुर की एक अदालत ने उन्हें 21 अक्टूबर तक ईडी की हिरासत में भेज दिया है। ईडी ने कहा कि 2009 बैच के आईएएस अधिकारी विश्नोई और उनकी पत्नी के पास से रु47 लाख की ‘बेहिसाब’ नकदी और 4 किलोग्राम सोने के आभूषण मिले थे।
15 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी, करोड़ों जब्त
वहीं कोयले के व्यापार से जुड़े सूर्यकांत तिवारी भी अब ईडी की रडार पर आ गए हैं। हालांकि वह फरार है। जांच एजेंसी ने सूर्यकांत के चाचा लक्ष्मीकांत तिवारी को हिरासत में ले लिया है। प्रवर्तन निदेशालय ने कोयले के व्यापार से जुड़े इंद्रमणि ग्रुप के सुनील अग्रवाल से भी पूछातछ की। ईडी तीन IAS, पूर्व विधायक, शराब और कोयला कारोबारियों के 15 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारियां कर चुकी है, जिसमें करोड़ों रुपए कैश और ज्वेलरी बरामद की गई थी। निवेश,खनन और प्रॉपर्टी से जुड़े कई दस्तावेज भी ईडी के हाथ लगे हैं. अब जांच एजेंसी ने दावा किया है कि छत्तीसगढ़ में कोयला ढुलाई में बड़े पैमाने पर घोटाला हो रहा है।
ED ने जब्त किए रु6.5 करोड़
छत्तीसगढ़ में ईडी रेड के बाद नोट के बंडलों की पहली तस्वीर सामने आ गई है। ईडी ने एक आईएएस और 2 कारोबारियों से रु6.5 करोड़ जब्त किया है. इसकी जानकारी ईडी अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर दी है, जिसमे बताया गया है कि दबिश में बेहिसाब नकदी और सोना मिला है। इस मामले में ईडी ने तीनों लोगों पर प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत गिरफ्तार किया है। ईडी ने आवेदन में दावा किया है कि सूर्यकांत तिवारी ने अधिकारियों की मदद से पिछले 16 महीनों में रु500 करोड़ की अवैध कोयला लेवी (Coal Levy) जुटाई है। ईडी के 12-पेज के रिमांड आवेदन में कहा गया है कि “जबरन वसूली सिंडिकेट” एक सुनियोजित साजिश के रूप में चलाया गया था और डिलीवरी ऑर्डर (DO) खदान से कोयला ले जाने वाले ट्रक के लिए आवश्यक था, जो अवैध लेवी के भुगतान के बाद ही जारी किया जाता था। ईडी ने कहा है कि पैसे का इस्तेमाल सरकारी कर्मचारियों और राजनेताओं को रिश्वत देने के लिए किया जा रहा था और कहा कि इस पैसे के कुछ हिस्सों का इस्तेमाल चुनाव खर्च के लिए भी किया जा रहा था। हालांकि ईडी ने किसी राजनीतिक दल का नाम नहीं लिया।
ईडी पर जबरन साइन करवाने का आरोप
आईएएस बिश्नोई की पत्नी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात कर उनको एक पत्र सौंपा। पत्र में प्रीति ने आरोप लगाया कि उनके पति को झूठे केस में फंसाया गया है। ईडी के अफसरों ने दबाव बनाकर उनके पति से पेपर्स पर साइन करवाए हैं। उन्होंने कहा है कि उनके पति लीवर सिरोसिस, बीपी और माइग्रेन जैसी बीमारियों से पीड़ित हैं। इसके बाद भी उनको भूखा प्यासा रखा जा रहा है।
इस तरह के घोटालों से एक तरफ जहां राजस्व की घोर हानि होती है वहीं दूसरी तरफ लोगों का विश्वास कानून व्यवस्था और तंत्र पर shake होता है। लोगों में यह भावना घर कर रही है कि घोटालेबाज़ों का कुछ नहीं होगा। यह एक आम धारणा है कि ये घोटालेबाज अपनी money power एवं contacts का इस्तेमाल कर बच निकलेंगे। लोगों की इस धारणा को तोड़ना होगा। Example set करने होंगे।
घोटालेबाज़ों का राजनैतिक गठजोड़ भी एक बड़ी समस्या है। निष्पक्ष जांच नहीं हो पाती। Investigating Agencies पर political pressure डाला जाता है। कानून की दृष्टि में सभी बराबर हैं। लेकिन क्या हकीकत में ऐसा है। देश में appropriate legal remedy लेना सबसे महँगा है। घोटालेबाज़ों को कानून का कोई भय नहीं है।
सिर्फ कानून लाने या कानून बदलने से कुछ नहीं होगा। क़ानूनों को कठोरता से लागू किया जाना चाहिए। जांच time-bound manner में की जानी चाहिए। संपत्तीयां जब्त कर नीलामी होनी चहिएI Financial crime के मामले लंबे समय तक अदालतों में लंबित नहीं रहने चाहिए। इनका fast-track कोर्ट में priority से निपटारा होना चाहिए। जरा सोचिए! फैसला आप खुद कीजिये