
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी EPFO में रु100 करोड़ तक के घोटाले का मामला सामने आया है। भविष्य निधि से जुड़ी इतनी बड़ी गड़बड़ी के मामले को सीबीआई जांच के लिए ट्रांसफर कर दिया गया है। इस मामले के सामने आने के बाद अब EPFO 2017 से सभी ट्रांजेक्शन की गहराई से जांच करेगा। अभी तक आंतरिक ऑडिट (Internal audit) के दौरान रू37 करोड़ का घोटाला सामने आया है। आगे यह आंकड़ा 100 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का हो सकता है।
चौंका देने वाली इस घटना के सामने आने के बाद EPFO ने अपने मुंबई रीजन के 8 कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया है, वहीं एक मुख्य आरोपी अधिकारी फरार चल रहा है।
कैसे हुआ गबन?
लॉकडाउन में लोगों को राहत देने के मकसद से EPFO ने विड्रॉल से जुड़ी शर्तों में ढील दी थी, जिसका फायदा उठाकर इस घोटाले को अंजाम दिया गया। जानकारी के मुताबिक, साल 2020 और 2021 के कोरोना के संकट काल का फायदा उठाकर आरोपियों ने घोटाले को अंजाम दिया। आमदनी घटने और नौकरी जाने की वजह से बड़ी संख्या में लोगों ने अपने प्रोविडेंट फंड (PF) से पैसा निकालने की अर्जी दी थी, जिसका तुरंत सेटलमेंट करना जरूरी था। वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने लॉगिन पासवर्ड दूसरे कर्मचारियों के साथ शेयर किए, जिससे कम वक्त में ज्यादा से ज्यादा सेटलमेंट हो सके। कुछ जूनियर कर्मचारियों ने इसका फायदा उठाते हुए कई खातों से पैसे निकाल लिए। ये भी पता चला है कि आरोपियों ने जान-बूझकर एक खाते से 5 लाख रुपये से कम की रकम निकाली ताकि ऊपरी अधिकारियों की अनुमति न लेना पड़े।
लंबे समय से बंद पड़े खातों का इस्तेमाल
EPFO में बड़ी संख्या में ऐसे बंद पड़े खाते हैं, जिनमें काफी समय से कोई अंशदान (Contribution) नहीं किया गया है क्योंकि कंपनी बंद हो गई। घोटाले के लिए इन्हीं खातों का इस्तेमाल किया गया। आरोपी कर्मचारियों ने बंद पड़े इन खातों में शुरुआत में कुछ मामूली रकम डाली और बाद में कोरोना की आड़ में फर्जी डॉक्यूमेंट के जरिए पूरा पैसा निकाल लिया।
हार्ले डेविडसन मोटरसाइकिल रखता है क्लर्क चंदन
इस घोटाले का मुख्य संदिग्ध चंदन कुमार सिन्हा यूं तो क्लर्क है लेकिन उसके पास महंगी कार से लेकर हार्ले डेविडसन मोटरसाइकिल तक है। जानकारी के अनुसार वह बिहार के गया जिले का रहने वाला है। चंदन कुमार सिन्हा ने मगध विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र की पढ़ाई की है। इस घटनाक्रम में चंदन और उसके सहयोगी अभिजीत समेत कुल पांच लोगों को निलंबित कर दिया गया है।
आम लोगों के लिए नसीहत
जिन खातों से पैसा निकाला किया गया है उनमें से कुछ खाते छोटी-छोटी कंपनियों से जुड़े हैं जिनमें आम लोगों का कॉन्ट्रीब्यूशन हैं। अब उन्हें अपने पैसे वापस लेने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। इसलिए EPFO के सभी सब्सक्राइबर्स को समय-समय पर अपने अकाउंट की जांच करनी चाहिए जिसमें उन्हें ब्याज की रकम और बाकी कॉन्ट्रीब्यूशन की जानकारी भी मिलती रहे।
EPFO से करोड़ों लोगों को उम्मीद
EPFO से 6 करोड़ से ज्यादा सब्सक्राइबर्स जुड़े हुए हैं जो अपनी सैलरी का एक हिस्सा हर महीने इसमें देते हैं। पेंशन और बाकी जरूरतों के लिए इसके फंड मैनेजर के पास रु15 लाख करोड़ से ज्यादा कॉरपस है। रु100 करोड़ के घोटाले से EPFO के खाताधारकों पर तो कोई खास असर नहीं पड़ेगा लेकिन इतना बड़ा मामला आने से लोगों का भरोसा जरूर कम हो जाता है।
घोटालेबाज़ों का राजनैतिक गठजोड़ भी एक बड़ी समस्या है। निष्पक्ष जांच नहीं हो पाती। Investigating Agencies पर political pressure डाला जाता है। कानून की दृष्टि में सभी बराबर हैं। लेकिन क्या हकीकत में ऐसा है। देश में appropriate legal remedy लेना सबसे महँगा है। घोटालेबाज़ों को कानून का कोई भय नहीं है। सिर्फ कानून लाने या कानून बदलने से कुछ नहीं होगा। क़ानूनों को कठोरता से लागू किया जाना चाहिए। जांच time-bound manner में की जानी चाहिए। संपत्तीयां जब्त कर नीलामी होनी चहिएI Financial crime के मामले लंबे समय तक अदालतों में लंबित नहीं रहने चाहिए। इनका fast-track कोर्ट में priority से निपटारा होना चाहिए। जरा सोचिए! फैसला आप खुद कीजिये।