
4 लाख जांच में से 1 लाख से ज्यादा फर्जी
लालच व स्वार्थ के आगे सभी मूक-दर्शक
धर्मनगरी हरिद्वार में संपन्न हुआ कुंभ अपनी शुरुआत के साथ ही सुर्खियों में छाया रहा। अपनी समाप्ति के 46 दिन बाद एक बार फिर कुंभ पूरे देश की सुर्खियों में छाया हुआ है। कारण हरिद्वार में कुंभ मेले में कोविड जांच के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है। वहां एक जांच के लिए सरकार को लैब और एजेंसियों को रू350 देने थे। अब पता लगा है कि इन एजेंसियों ने 4 लाख कोरोना टेस्ट किए, जिनमें 1 लाख से ज्यादा फर्जी हैं। प्राइवेट लैब द्वारा फर्जी तरीके से श्रद्धालुओं की जांच कर कुंभ मेला प्रशासन को लाखों रुपए का चूना लगाने का प्रयास किया गया है। इनमें भी 50 हजार से ज्यादा एक ही मोबाइल नंबर पर रजिस्टर्ड किए गए। इसमें राजस्थान के हनुमानगढ़ के लिए खबर यह है कि हजारो ID यहां के छात्रों और सरकारी कर्मचारियों की इस्तेमाल की गई।
यानी इन्हें हरिद्वार कुंभ में जाना बताया गया, जबकि उनका कहना है कि वे तो हरिद्वार गए ही नहीं। इतना ही नहीं, हरिद्वार में जिस कर्मचारी को सैंपल कलेक्ट करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, उसे भी हनुमानगढ़ का ही बताया गया है। जांच में सामने आया है कि कथित रूप से सैंपल कलेक्ट करने वाला हनुमानगढ़ का यह कर्मचारी कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम में रजिस्टर्ड है।
सूत्रो के अनुसार बातचीत में उसने बताया कि वह कभी कुंभ नहीं गया था, उसे डेटा दिया गया था, जिसे ट्रेनिंग के रूप में इसे अपलोड करने के लिए कहा था। यह सारा सनसनीखेज खुलासा हरिद्वार प्रशासन की जांच में हुआ है। जांच-पड़ताल में सामने आया कि हरिद्वार में एजेंसी की ओर से नियुक्त किए गए सैंपल कलेक्टर्स प्रोफेशनल नहीं थे। जांच में सामने आया है कि जिनकी फर्जी रिपोर्ट जारी हुई, उनमें से 50 फीसदी राजस्थान के निवासी हैं। फिलहाल मामले की जांच जारी है।
ऐसे हुआ खुलासा
हरिद्वार कुंभ में हुए टेस्ट के घपले का खुलासा ऐसे ही नहीं हुआ। स्वास्थ्य विभाग के सूत्र बताते हैं यह कहानी शुरू हुई पंजाब के फरीदकोट से। यहां रहने वाले एक शख्स विपन मित्तल की वजह से कुंभ में कोविड जांच घोटाले की पोल खुल सकी। एलआईसी एजेंट विपन मित्तल को उत्तराखंड की एक लैब से फोन आता है, जिसमें यह कहा जाता है कि ‘आप की रिपोर्ट निगेटिव आई है’, जिसके बाद विपन कॉलर को जवाब देता है कि उसका तो कोई कोरोना टेस्ट हुआ ही नहीं है तो रिपोर्ट भला कैसे निगेटिव आ गई। फोन आने के बाद विपन ने फौरन स्थानीय अधिकारियों को मामले की जानकारी दी। स्थानीय अधिकारियों के ढुलमुल रवैए को देखते हुए पीड़ित शख्स ने तुरंत भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) से शिकायत की। ICMR ने घटना को गंभीरता से लेते हुए उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग से जवाब मांगा।
उत्तराखंड सरकार से होते हुए ये शिकायत स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी के पास पहुंची। जब उन्होंने पूरे मामले की जांच करायी तो बेहद चौंकाने वाले खुलासे हुए। स्वास्थ्य विभाग ने पंजाब फोन करने वाले शख्स से जुड़ी लैब की जांच की तो परत-दर-परत पोल खुलती गई। जांच में एक लाख कोरोना रिपोर्ट फर्जी पाए गए।
एक एंटीजन परीक्षण किट से 700 सैंपल्स की टेस्टिंग
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कुंभ के दौरान कम से कम 1 लाख जांच फर्जी की गईं। कुंभ के दौरान की गई कई सैंपलिंग की जांच में सामने आया है कि एक ही एड्रेस से सैकड़ों लोगों की जांच की गई। इसमें कई फोन नंबर्स पर दिए गए पते फर्जी थे। कथित रूप से एक मामले में 50 हजार से अधिक लोगों के रजिस्ट्रेशन के लिए एक ही फोन नंबर का इस्तेमाल किया गया। वहीं एक एंटीजन परीक्षण किट से 700 सैंपल्स की टेस्टिंग की गई।
हरिद्वार में जांच से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि पते और नाम काल्पनिक थे। हरिद्वार में हाउस नंबर 5 से करीब 530 सैंपल लिए गए। ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या एक घर में 500 से ज्यादा लोग रह सकते हैं? वहीं कई अजीबो-गरीब पते दिए गए हैं। इनमें हाउस नंबर 56, अलीगढ़, हाउस नंबर 76, मुंबई का भी होना बताया बताया गया है जिसमें फोन नंबर भी फर्जी थे और कानपुर, मुंबई, अहमदाबाद और 18 अन्य जगह के लोगों ने एक ही फोन नंबर दिए गए।
कुंभ के दौरान 50 हजार टेस्ट के थे निर्देश
कुंभ के दौरान उत्तराखंड हाईकोर्ट की तरफ से रोजाना कम से कम 50,000 कोरोना टेस्ट करने का निर्देश देने के बाद राज्य सरकार की ओर से आठ और सैंपल कलेक्टर एजेंसियों को टेस्टिंग करने का काम सौंपा गया था। जांच के तहत एजेंसी की तरफ से किए गए 1 लाख कोरोना टेस्ट में से 0.18 प्रतिशत पॉजिटिविटी रेट के साथ 177 पॉजिटिव निकले थे। इसके विपरीत अप्रैल में हरिद्वार में पॉजिटिविटी रेट 10 फीसदी तक चला गया था।
उत्तराखंड के स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए जांच में अनियमितताएं मिलने पर जांच रिपोर्ट हरिद्वार के डीएम को भेजी है। उस समय डीएम ने स्वास्थ्य विभाग को सख्त निर्देश जारी किए थे कि टेस्ट कराने वाले का नाम-पता और फोन नंबर अनिवार्य रूप से दर्ज किया जाए। बावजूद इसके निजी लैब ने बड़ा फर्जीवाड़ा किया है। जिलाधिकारी सी. रविशंकर का कहना है कि जांच रिपोर्ट में जो भी तथ्य आएंगे, उसके आधार पर दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। हरिद्वार जिलाधिकारी सी रविशंकर ने जांच कमेटी का गठन कर 15 दिन में रिपोर्ट पेश के आदेश दिए हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने की सख्त कार्यवाही की मांग
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने ट्वीट करते हुए कहा कि, “कुंभ के दौरान कोरोना टेस्ट को लेकर विभागीय जांच में यह फर्जीवाड़ा सामने आया है। इससे पहले इसी तरीके का फर्जीवाड़ा रुद्रपुर में सामने आया है। फर्जीवाड़ा उत्तराखंड का स्वभाव नहीं हैं। ये कौन लोग हैं! जो हमारे राज्य को कंलकित कर रहे हैं। ऐसे लोग के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए और मैं सीएम तीरथ सिंह रावत से जल्द कार्रवाई करने की मांग करता हूं”।
यह बोले जिम्मेदार
इस प्रकरण पर हरिद्वार कुंभ में मेलाधिकारी स्वास्थ्य का कार्यभार संभालने वाले डॉ. अर्जुन सेंगर का कहना है कि कुंभ मेले के दौरान प्राइवेट लैब पैनलबद्ध थी. सीएमओ और स्वास्थ्य विभाग की जांच में पाया गया है कि किसी लैब द्वारा गलत डाटा उपलब्ध कराया गया है। इस मामले में विभाग द्वारा जांच की जा रही है। वहीं, हरिद्वार सीएमओ शंभूनाथ झा ने मामले से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि अभी जांच चल ही है, जो भी रिपोर्ट सामने आएगी, उस आधार पर कार्रवाई होगी।
कोरोना महामारी के चलते कुम्भ को superspreader कहा गया व सांकेतिक रूप मे मनाने का आह्वान हुआ, लेकिन यह नहीं हुआ। यह भी बताया गया की चुनावो के कारण कुम्भ को एक साल पहले ही मना लिया गया। ये कैसे लोग है जो अपने स्वार्थ व लालच के कारण आम इन्सानो की जिंदगी को मौत के द्वार पर धकेलने से कतराते नहीं है। क्यों है हमारी कानून व न्याय व्यवस्था इतनी बेबस जो मानवता के इन दुश्मनों को सजा नहीं देती ? क्यों है सरकारी तंत्र इतना ढीला, लाचार व मूक दर्शक जो सब कुछ देखते –जानते हुए भी कुछ नहीं करता। जरा सोचिए, फैसला आप खुद कीजिये।