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बाइक बोट घोटाला बड़े पैमाने पर घोटाला हो गया, तंत्र कैसे सोता रह गया

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अपडेटेड 25 सितंबर 2023, 5:09 PM IST
बाइक बोट घोटाला बड़े पैमाने पर घोटाला हो गया, तंत्र कैसे सोता रह गया
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बहुचर्चित बाइक बोट मामले में ईओडब्ल्यू भोपाल ने नोएडा स्थित कंपनी और उसके डायरेक्टर्स के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इन्होंने बाइक टैक्सी सर्विस में निवेश के नाम पर तीन गुना मुनाफे का लालच दिया। भोपाल के करीब 2,500 लोगों से रु65.50 करोड़ रुपए लेकर गायब हो गए। निवेशकों ने 2019 में इसकी शिकायत ईओडब्ल्यू में दर्ज कराई थी। करीब तीन साल के जांच के बाद अब केस दर्ज हुआ है।

ईओडब्ल्यू के अधिकारियों ने बताया कि भोपाल के करीब 40 लोगों ने शिकायत दर्ज कराई है। इन शिकायतकर्ताओं ने बाइनरी स्ट्रक्चर के आधार पर करीब 2,500 निवेशकों को कंपनी से जोड़ा था। ईओडब्ल्यू के अधिकारियों का मानना है कि पीड़ितों की संख्या ज्यादा हो सकती है। बहुत से पीड़ित सामने नहीं आए हैं। इनमें सबसे ज्यादा सेना से रिटायर्ड लोग है।

शिकायतकर्ताओं ने ईओडब्ल्यू को बताया कि कंपनी में इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर सहित अन्य शहरों के लोगों ने भी निवेश किया था। इन शहरों से कोई भी शिकायतकर्ता अभी तक सामने नहीं आया है।

कैसे फुसलाया गया भोले भाले लोगों को

कंपनी लोगों से रु62,100 एक बाइक के लिए निवेश करवाती थी। एकमुश्त निवेश करने पर रु4,590 रु. प्रतिमाह वापस देने, जो हर माह रु9,762 का निवेश करते थे, उन्हें 6 माह बाद रु4,590 प्रतिमाह देने, जो रु1,86,300 एक बार निवेश करते थे, उन्हें 14,355 प्रतिमाह देने का करार होता था।

अगर किसी व्यक्ति ने एक बार निवेश कर दिया, तो उसे दो और इन्वेस्टर जोड़ने को भी बोला जाता था। रु4,590 रुपए प्रति निवेशक को दिया जाता था। निवेशक जोड़ने का काम बाइनरी स्ट्रक्चर आधारित है। इंसेंटिव भी इस आधार पर तय होता था।

कंपनी ने गो-डैडी पर अपनी वेबसाइट बना रखी थी। वहीं पर निवेशक का आईडी पासवर्ड बनाया जाता था। निवेशक को उसकी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन कार्ड न देकर कंपनी का एक रजिस्ट्रेशन नंबर दिया जाता था। ताकि उसे यह विश्वास हो जाए कि उसकी बाइक चल रही है।

ईओडब्ल्यू की जांच में सामने आया कंपनी के लोग नए इन्वेस्टर को सोशल मीडिया के माध्यम से संपर्क कर उन्हें निवेश करने का लालच देते थे। वे लुभावनी स्कीम के बारे में मैसेज करते थे। कंपनी के वीडियो शेयर करते थे। इनके प्रतिनिधि कॉल कर अपने पुराने निवेशकों से मीटिंग करवाते थे।
जांच के बाद ईओडब्ल्यू ने गर्भित इनोवेटिव प्रमोटर्स कंपनी के डायरेक्टर्स संजय भाटी, सुनील कुमार प्रजापति, राजेश भरद्वाज और करण पाल सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इन चारों ने 2010 में कंपनी बनाई थीं।

2017 में इन्होंने बाइक बोट-बाइक टैक्सी सर्विस पॉवर्ड बाई जीआईपीएल स्कीम को लांच किया। इस कंपनी के खिलाफ सीबीआई ने 2021 नवंबर में केस दर्ज कर रु15,000 करोड़ के घोटाले का खुलासा किया था। इनके खिलाफ उत्तरप्रदेश के नोएडा और मेरठ में भी मामले दर्ज है।

जल्दी ही आरोपियों की गिरफ़्तारी होगी

प्रारंभिक जांच के बाद केस दर्ज किया गया है। जांच जारी है। जल्दी ही आरोपियों की गिरफ़्तारी की जाएगी। अगर कोई पीड़ित और सामने आते है तो उनका आवेदन जांच में लिया जाएगा – राजेश मिश्रा, एसपी, ईओडब्ल्यू

बाइक बोट कंपनी के मालिक संजय भाटी, राजेश भारद्वाज, विजयपाल कसाना, हरीश कुमार, विनोद कुमार, संजय गोयल, विशाल कुमार, राजेश सिंह यादव, पुष्पेंद्र सिंह, विनोद कुमार, आदेश भाटी, सचिन भाटी, करणपाल, सुनील कुमार और पवन भाटी, बीएन तिवारी निवासी विवेक खंड, गोमतीनगर लखनऊ, ललित कुमार निवासी मेरठ, वी के शर्मा, दिनेश पांडे, सत्येंद्र सिंह भसीन निवासी दिल्ली, रविंद्र और रेखा निवासी जालंधर पंजाब, तरुण शर्मा, विदेश भाटी, मनोज कुमार त्यागी निवासी पिलखुआ हापुड़ और अनिल शाह निवासी नई दिल्ली के खिलाफ मई ओर जून 2021 को पुलिस कमिश्नर के अनुमोदन के बाद थाना दादरी में गैंगस्टर एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था।

बता दें कि बाईक बोट घोटाले से जुड़े जालसाजों के तार यूपी समेत कई राज्यों से जुड़े हैं। इसलिए घोटालेबाजों के खिलाफ नई दिल्ली, जालंधर, करनाल, जयपुर उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और तेलांगना के अलावा यूपी में मुकदमा दर्ज कराया गया है। इसमें अकेले सिर्फ यूपी में ही 118 मुकदमे दर्ज हैं। जिन जिलों में मुकदमे दर्ज हैं उनमे से अकेले गौतमबुद्धनगर में ही 96 मामले दर्ज हैं। जबकि लखनऊ में एक, बुलंदशहर में 6, गाजियाबाद में 6, मेरठ में 2, हापुड़, बिजनौर, बागपत, आगरा, मुजफ्फरनगर में 1-1 मुकदमें दर्ज हैं। ईडी अब तक सिर्फ नोएडा में दर्ज मुकदमों की ही जांच कर रही थी। लेकिन इस मामले में जिस तरह से घोटाले से अर्जित संपत्तियों का पता चल रहा है, उससे देखते हुए ईडी अपनी जांच का दायरा बढ़ाने जा रही है। सूत्रों में बताया कि ईडी अब यूपी के सभी जिलों में दर्ज मुकदमों के आधार पर भी जल्द जांच शुरू करेगा।

अब तक की जांच में 1093 वाहनों को जब्त किया गया हैं। जिसमें मर्सिडिज, जगुआर, ऑडी और फॉरच्यूर जैसे करीब 50 लग्जरी वाहन भी मिले हैं। इसके अलावा करोड़ों रुपये की बेनामी संपत्तियों के बारे में भी पता चला है।

निवेशकों की रकम से चैनल शुरू किया था

मुख्य आरोपी संजय भाटी बसपा नेता, जो गौतमबुद्ध नगर में लोकसभा प्रभारी रहा था और कंपनी का डायरेक्टर था जो जेल में बंद है। इसका साथी लखनऊ निवासी बीएन तिवारी ने नोएडा में रहकर न्यूज चैनल चलाता था। उसी चैनल पर बाइक बोट का जमकर प्रचार प्रसार किया था। नोएडा से ही लखनऊ तक के अधिकारियों से संबंध बना लिए थे। बाइक बोट के प्रसार के लिए चैनल का प्रयोग किया जाता था। बाइक बोट में निवेश की गई रकम से ही चैनल का शुभारंभ किया था।

इस घोटाले में देश के कई राज्यों में करीब 300 से ज्यादा मुकदमें दर्ज हैं। बाइक बोट घोटाले की जांच ईडी, एसआईटी, ऑडब्लूईएस, सीबीआई जैसी बड़ी एजेंसियां कर रही हैं। पुलिस ने तीनों आरोपियों को प्रोडक्शन वारंट पर गिरफ्तार किया है।

इस तरह के घोटालों से एक तरफ जहां राजस्व की घोर हानि होती है वहीं दूसरी तरफ लोगों का विश्वास कानून व्यवस्था और तंत्र पर shake होता है। लोगों में यह भावना घर कर रही है कि घोटालेबाज़ों का कुछ नहीं होगा। यह एक आम धारणा है कि ये घोटालेबाज अपनी money power एवं contacts का इस्तेमाल कर बच निकलेंगे। लोगों की इस धारणा को तोड़ना होगा। Example set करने होंगे।

घोटालेबाज़ों का राजनैतिक गठजोड़ भी एक बड़ी समस्या है। निष्पक्ष जांच नहीं हो पाती। Investigating Agencies पर political pressure डाला जाता है। कानून की दृष्टि में सभी बराबर हैं। लेकिन क्या हकीकत में ऐसा है। देश में appropriate legal remedy लेना सबसे महँगा है। घोटालेबाज़ों को कानून का कोई भय नहीं है।

सिर्फ कानून लाने या कानून बदलने से कुछ नहीं होगा। क़ानूनों को कठोरता से लागू किया जाना चाहिए। जांच time-bound manner में की जानी चाहिए। संपत्तीयां जब्त कर नीलामी होनी चहिएI Financial crime के मामले लंबे समय तक अदालतों में लंबित नहीं रहने चाहिए। इनका fast-track कोर्ट में priority से निपटारा होना चाहिए। जरा सोचिए! फैसला आप खुद कीजिये।

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