
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कथित रूप से भ्रष्टाचार के एक संगीन मामले में फंसते नजर आ रहे हैं। उनके मुख्यमंत्री पद पर तो खतरा मंडरा रहा ही है, साथ ही उनके विधायक बने रहने पर भी सवालिया निशान लग गया है। झारखंड में अवैध खनन मामले में इन दिनों प्रवर्तन निदेशालय (ED) लगातार छापेमारी कर रही है औऱ जिन लोगों के यहां छापेमारी की जा रही है वो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नजदीकी बताए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कई खास लोग और हाई प्रोफाइल लोगों को ED ने गिरफ्तार कर लिया है।
पिछले दिनों भी झारखंड के कई डीएमओ से पूछताछ की गई थी. साथ ही अवैध माइनिंग से जुड़े लोगों पर भी ईडी की ओर से दबिश बढ़ायी गयी। वहीं छापेमारी के दौरान कोई असुविधा न हो इसे लेकर मौके पर सीआरपीएफ की टीम भी तैनात है।अभी बुधवार को ही एक आरोपी प्रेम प्रकाश को गिरफ्तार किया गया जिसके पास से दो AK-47 राइफल बरामद हो चुकी है। स्थानीय मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक, ईडी ने एनआईए को इसके बारे में सूचना दी है। इन सब गिरफ्तारियों को लेकर ये कहा जा रहा है कि इन लोगों को मुख्यमंत्री का आशीर्वाद मिला हुआ था। बहरहाल ईडी इसी मामले की छानबीन कर रही है और यह पता लगाया जा रहा है कि क्या इसमें मुख्यमंत्री कार्यालय भी शामिल था।
झारखंड को देश की खनिज राजधानी कहा जाता है। खनिज संपदा, नदियों, पहाड़ और जंगलों से भरपूर इस राज्य में अवैध खनन के कई मामले बीते कई वर्षों में उजागर हुए हैं। लेकिन यह मामला कुछ अलग सा है। दरअसल मनरेगा फंड में हेराफेरी की जांच करते करते जांच एजेंसी खनन घोटाले तक पहुंच गई। मनरेगा फंड में हेराफेरी की जांच में पता चला कि यहां मनी लॉन्ड्रिंग का एक पूरा नेटवर्क काम कर रहा है। ED ने इस सिलसिले में आईएएस पूजा सिंघल और उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट सुमन कुमार सिंह को गिरफ्तार किया। उनके यहां छापे में करीबन रु20 करोड़ कैश मिला था। इसी जांच के दौरान जांच एजेंसी को अवैध खनन घोटाले का पता चला।
ED ने छापेमारी में मिले दस्तावेज और पूछताछ के आधार पर यह दावा किया कि अवैध खनन के जरिए करीबन रु100 करोड़ से ज्यादा धनराशि जुटाए गए। इतना ही नहीं जांच के आधार पर यह भी कहा जाने लगा कि इस अवैध खनन घोटाले का कनेक्शन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधानसभा क्षेत्र साहेबगंज से है।
इसके बाद जाहिर है कि ED की जांच के दायरे में सीएम के तमाम सहयोगी आने लगे और ED ने उन सभी लोगों से पूछताछ शुरू कर दिया। इस मामले की तहकीकात करते करते ED सीएम के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा के यहां पहुंच गई। जांच-पड़ताल के बाद पंकज मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया गया था। पंकज मिश्रा और उनके सहयोगियों के करीबन 37 बैंक खातों से लगभग रु12 करोड़ ED ने जब्त किया था। प्रेम प्रकाश से मिले इनपुट के आधार पर ही संथाल में ईडी की टीम ने अपनी दबिश दी जिसके बाद पंकज मिश्रा के करीबी दाहू यादव और बच्चूत यादव के ठिकानों पर छापेमारी की थी।
मुख्यमंत्री के करीबी लोगों में एक और नाम सामने आया औऱ वो हैं सीएम सोरेन के मीडिया सलाहकार अभिषेक प्रसाद। ईडी ने इनसे भी पूछताछ किया है। 100 करोड़ के इस अवैध खनन घोटाले में ED अभी भी जांच कर रही है। कई ठिकानों पर छापेमारी की जा चुकी है। ED जब इस मामले को लेकर साहेबगंज में छापेमारी कर रही थी तो उसने पानी के एक जहाज को जब्त किया। इस जहाज की कीमत रु30 करोड़ रुपये बताई जा रही है औऱ सूत्रों का कहना है कि इसी जहाज से अवैध खनिज औऱ पत्थरों को बाहर भेजा जाता था।
भारत निर्वाचन आयोग ने खनन लीज मामले में विधायक बसंत सोरेन से जुड़े मामले की सुनवाई सोमवार को की। 29 अगस्त को मामले की अगली सुनवाई होगी। खनन लीज मामले में ही सीएम हेमंत सोरेन से जुड़े मामले की सुनवाई पूरी हो चुकी है। जिस पर आयोग ने फैसला सुरक्षित रखा है। जल्द ही आयोग की तरफ से फैसला राज्यपाल को भेजा जा सकता है। जिसके बाद आगे की कार्रवाई राज्यपाल करेंगे।
झारखंड में इस प्रकरण को लेकर फिर से सियासी हलचल तेज हो रही है। यहां मौजूदा सीएम हेमंत सोरेन की सरकार में भी बदलाव हो सकता है। यदि चुनाव आयोग इनके खिलाफ फैसला दे देता है तो जरूर सरकार बदल सकती है। मामला किसी शिकायत को लेकर जुड़ा है, ऐसे में अब सबकी निगाहें आयोग के निर्णय पर है। सोरेन के खिलाफ वैसे तो भाजपा ने शिकायत की थी लेकिन हेमंत सोरेन के खिलाफ प्रतिकूल फैसला आने के बाद कांग्रेस भी दबाव बढ़ा सकती है।
पूर्व सीएम रघुवर दास के नेतृत्व में 12 फरवरी को राज्यपाल रमेश बैस से मिलकर भाजपा नेताओं के एक शिष्टमंडल ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन पर पत्थर के कारोबार में शामिल होने का आरोप लगाते हुए उन्हें बर्खास्त कर आपराधिक मुकदमा चलाने की मांग की थी। राज्यपाल रमेश बैस को ज्ञापन सौंपते हुए भाजपा शिष्टमंडल ने हेमंत सोरेन पर मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए अपने नाम से रांची के अनगड़ा मौजा थाना नंबर 26, खाता नंबर 187 प्लॉट नंबर 482 में पत्थर खनन पट्टा की स्वीकृति लेने का आरोप लगाया था।
यह सोचने का विषय है की क्या लोकतन्त्र मे वाकयी जनता की, जनता के लिए, जनता द्वारा सरकारे हैI क्या नेताओ, अफसरो व पूंजीपतियों की कोई जवाबदेही नहीं? क्या इनपर कोई कानून लागू नहीं होता? आज जब कानूनी संस्थानो पर भी शक्तिशाली का साथ देने का व उनके साथ मिलीभगत की चर्चा आम है, तो ऐसे मे जनता को जागरूक होकर अपने हक के लिए बुलंद होना जरूरी हो जाता हैI जरा सोचिए, फैसला आप खुद कीजिये!