
ED ने जब्त किया शुगर मिल
डिप्टी सीएम अजीत पवार और उनकी पत्नी से जुड़े तार
ईडी ने महाराष्ट्र के सातारा में स्थित जरांदेश्वर शुगर मिल को गुरूवार को सीज कर दिया। आपको बता दें कि मुंबई पुलिस ने सिंतबर 2019 में महाराष्ट्र स्टेट कॉपरेटिव बैंक घोटाले में अजीत पवार और 70 अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। साल 2020 में सबूत के अभाव में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी। मगर ईडी ने क्लोजर रिपोर्ट का विरोध किया और केस की जांच जारी रखी। गुरूवार को महाराष्ट्र स्टेट कॉपरेटिव बैंक घोटाले में पहला एक्शन हुआ। ईडी के मुताबिक शुगर मिल को अजीत पवार और उनकी पत्नी कंट्रोल करते हैं।
इस मामले में ईडी ने 65 करोड़ रुपए मूल्य की एक शुगर मिल को सीज़ किया है। ईडी के अधिकारियों ने को सतारा जिले के चिमनगांव-कोरोगांव इलाके में स्थित जारंदेश्वर चीनी मिल को अस्थायी रूप से सीज कर दिया। इस मामले में जांच एजेंसी की तरफ से यह पहली कार्रवाई है।
पूरे मामले के तार राज्य के डिप्टी सीएम अजीत पवार और उनकी पत्नी से भी जुड़े हो सकते हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस संबंध में जानकारी दी है कि कथित महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (एमएससीबी) घोटाले के सिलसिले में धनशोधन रोधी कानून के तहत करीब 65 करोड़ रूपये मूल्य की एक चीनी मिल कुर्क की गयी है तथा उपमुख्यमंत्री अजीत पवार एवं उनकी पत्नी से जुड़ी एक कंपनी मामले में संलिप्त है।
ईडी ने कहा कि सतारा जिले में चिमनगांव-कोरेगांव में स्थित जरांदेश्वर सहकारी सुगर कारखाना (जरांदेश्वर एसएसके) की जमीन, भवन, ढांचे, संयंत्र और मशीनरी को कुर्क करने के लिए धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) की संबंधित धाराओं के तहत अंतरिम आदेश जारी किया गया है। जांच एजेंसी ने कहा कि यह 65। 75 करोड़ रूपये मूल्य की संपत्ति है और यह 2010 में उसका क्रयमूल्य था।
ईडी ने कहा,” यह संपत्ति फिलहाल गुरू कमोडिटी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (एक कथित नकली कंपनी) के नाम से है और जरांदेश्वर एसएसके को पट्टे पर दी गयी है। स्पार्कलिंग स्वाइल प्राइवेट लिमिटेड का जरांदेश्वर सुगर मिल्स में बहुअंशधारिता है और जांच में सामने आया है कि पिछली कंपनी का संबंध महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और उनकी पत्नी सुनेत्र अजीत पवार से जुड़ी एक कंपनी से है।
घोटालेबाज़ों का राजनैतिक गठजोड़ भी एक बड़ी समस्या है। निष्पक्ष जांच नहीं हो पाती। Investigating Agencies पर political pressure डाला जाता है। कानून की दृष्टि में सभी बराबर हैं। लेकिन क्या हकीकत में ऐसा है। देश में appropriate legal remedy लेना सबसे महँगा है। घोटालेबाज़ों को कानून का कोई भय नहीं है। सिर्फ कानून लाने या कानून बदलने से कुछ नहीं होगा। क़ानूनों को कठोरता से लागू किया जाना चाहिए। जांच time-bound manner में की जानी चाहिए। संपत्तीयां जब्त कर नीलामी होनी चहिएI Financial crime के मामले लंबे समय तक अदालतों में लंबित नहीं रहने चाहिए। इनका fast-track कोर्ट में priority से निपटारा होना चाहिए। जरा सोचिए! फैसला आप खुद कीजिये।