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संदेसरा ब्रदर्स के गबन की कहानी भारत में हजारों करोड़ रुपये की धोखाघड़ी कर नाइजीरिया में बन बैठे राजा

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अपडेटेड 26 सितंबर 2023, 5:18 PM IST
संदेसरा ब्रदर्स के गबन की कहानी भारत में हजारों करोड़ रुपये की धोखाघड़ी कर नाइजीरिया में बन बैठे राजा
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भारत सरकार ने हजारों करोड़ों रुपये के गबन के आरोपी संदेसरा ब्रदर्स (Sandesara Brothers) को भगोड़ा घोषित कर रखा है। लेकिन अफ्रीकी देश नाइजीरिया की सरकार ने नितिन संदेसरा और चेतन संदेसरा को सिर-आंखों पर बिठा रखा है। वहां उनका कारोबार तेजी से फलफूल रहा है। नाइजीरिया सरकार ने अपने कई प्रोजेक्ट्स में संदेसरा बंधुओं को पार्टनर बना रखा है। नाइजीरिया में उनके रसूख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब भारत सरकार ने उनका प्रत्यर्पण मांगा, तो वहां की सरकार ने इससे साफ इन्कार कर दिया। गुजरात से ताल्लुक रखने वाले संदेसरा बंधुओं पर भारत के सरकारी बैंकों पर करीब 1.7 अरब डॉलर या रु14,034 करोड़ का चूना लगाने का आरोप है। यह देश के सबसे बड़े आर्थिक अपराधों में से एक है। संदेसरा ब्रदर्स ने इन आरोपों से इन्कार किया है। लेकिन वे 2017 में भारत से फरार हो गए थे। भारत सरकार ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर रखा है। ये दोनों भाई भारत से भागकर नाइजीरिया में बस गए और वहां के बड़े अमीरों में शाामिल हैं।

करीब 20 साल पहले उन्होंने नाइजीरिया की ऑयल इंडस्ट्री में कदम रखा था और अब उनका जोर पूरी तरह वहां के बिजनस पर है। सीबीआई की मानें तो संदेसरा बंधुओं ने नाइजीरिया की नागरिकता के लिए भी आवेदन कर रखा है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक नंवबर में नाइजीरिया की सरकार ने देश के पूर्वोत्तर के सूखे इलाके में एक अरब बैरल तेल के भंडार की खोज का जश्न मनाया था। इस डिस्कवरी में संदेसरा ब्रदर्स नाइजीरिया सरकार के पार्टनर हैं। नाइजीरिया के नए राष्ट्रपति बोला तिनूबू ने देश के हाइड्रोकार्बन सेक्टर के लिए नए गोल रखे हैं। इस कारण संदेरसा ब्रदर्स की अहमियत बढ़ गई है। तिनूबू ने देश में पेट्रोल पर मिलने वाली सब्सिडी खत्म करने की घोषणा की है जिससे देश में इसकी कीमत रातोंरात तीन गुना बढ़ गई है।

अफ्रीका में रसूख

नाइजीरिया अफ्रीका का सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है। लेकिन शेल और एक्सनमोबिल जैसी बड़ी कंपनियां देश से निकल चुकी हैं। ऐसे में संदेसरा बंधुओं की चांदी हो रही है। उनकी कंपनी को इस प्रोजेक्ट में तेल निकालने की जिम्मेदारी दी गई है। उनकी कंपनियां स्टर्लिंग ऑयल एक्सप्लोरेशन एंड प्रॉडक्शन कंपनी और स्टर्लिंग ग्लोबल ऑयल रिसोर्सेज लिमिटेड रोजाना करीब 50,000 बैरल कच्चा तेल निकालती है। ये कंपनियां एक और ब्लॉक से तेल निकालने की तैयारी में हैं। इस साल के अंत तक उनका रोजाना उत्पादन 100,000 बैरल तक जाने की उम्मीद है। संदेसरा परिवार पश्चिम अफ्रीकी देश नाइजीरिया से सबसे ज्यादा तेल एक्सपोर्ट करने वाली कंपनियों में शामिल है।

संदेसरा परिवार का चाय की ट्रेडिंग का कारोबार था। 1980 के दशक में नितिन और चेतन संदेसरा ने इस बिजनस को कई सेक्टर्स में फैलाया। इनमें ऑयल एंड गैस, हेल्थ केयर, कंस्ट्रक्शन और इंजीनियरिंग सेक्टर शामिल है। उनकी कंपनी फार्मास्यूटिकल ग्रेड जिलेटिन बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में शामिल थी। 2010 के दशक के शुरुआत में ग्रुप की वैल्यू करीब 7 अरब डॉलर यानी आज के हिसाब से रु57,777 करोड़ थी थी। सीबीआई के मुताबिक ग्रुप ने एसबीआई, बैंक और बड़ौदा और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया समेत कई बैंकों के साथ रु14,034 करोड़ की धोखाधड़ी की। संदेसरा बंधुओं पर लोन लेने के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेने और पैसों को विदेश भेजने का आरोप है।

कैसे हुए नाइजीरिया में कामयाब

ईटी की रिपोर्ट के अनुसार लगभग 20 साल पहले इन भाइयों ने भारत में दिक्कतों को देखते हुए नाइजीरियाई तेल इंडस्ट्री में एंट्री की। वहां इन्हें दो ऑनशोर लाइसेंस मिल गए। इसी से इन्होंने अपना ध्यान लागोस (नाइजीरिया का सबसे बड़ा शहर) पर लगाया।

बड़े लोगों से नजदीकी

भारत सरकार ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट भी जारी कर रखा है। लेकिन नाइजीरिया की सरकार ने चार साल पहले संदेसरा बंधुओं को गिरफ्तार करने से इन्कार कर दिया। उसका कहना था कि उनके खिलाफ आरोप राजनीति से प्रेरित हैं। भारत में उनके पास गुजरात में 60,000 स्क्वायर फुट का फार्महाउस था। साथ ही उनके पास अपना निजी विमान और कई महंगी कारें थी। अपने फार्महाउस में वे बड़ी-बड़ी पार्टियां आयोजित करते थे। नाइजीरिया में भी उन्होंने अपनी इस परंपरा को बरकरार रखा है। वहां वे दिवाली के मौके पर बड़ी पार्टी देते हैं और इसमें बड़ी-बड़ी हस्तियों को बुलाते हैं। संदेसरा बंधुओं की नाइजीरिया की कई हस्तियों से नजदीकी है और इसका बिजनस में उन्हें काफी फायदा मिलता है। बता दें कि संदेसरा बंधुओं समेत दीप्ति संदेसरा के बॉलीवुड स्टार से लेकर बड़े नेताओं से ताल्लुक रहे हैं।

जांच में यह भी पता चला कि कर्ज की रकम तय उद्देश्य की बजाय दूसरे कामों में लगाई गई। कई भारतीय और विदेशी फर्मों में राशि का हेर-फेर किया गया। प्रमोटर्स ने भारतीय बैंकों के कर्ज की रकम नाईजीरिया के तेल कारोबार में लगाई और निजी इस्तेमाल भी किया।

इस तरह के घोटालों से एक तरफ जहां राजस्व की घोर हानि होती है वहीं दूसरी तरफ लोगों का विश्वास कानून व्यवस्था और तंत्र पर shake होता है। लोगों में यह भावना घर कर रही है कि घोटालेबाज़ों का कुछ नहीं होगा। यह एक आम धारणा है कि ये घोटालेबाज अपनी money power एवं contacts का इस्तेमाल कर बच निकलेंगे। घोटालेबाज़ों का राजनैतिक गठजोड़ भी एक बड़ी समस्या है। निष्पक्ष जांच नहीं हो पाती। Investigating Agencies पर political pressure डाला जाता है। कानून की दृष्टि में सभी बराबर हैं। लेकिन क्या हकीकत में ऐसा है। घोटालेबाज़ों को कानून का कोई भय नहीं है। सिर्फ कानून लाने या कानून बदलने से कुछ नहीं होगा। क़ानूनों को कठोरता से लागू किया जाना चाहिए। जांच time-bound manner में की जानी चाहिए। संपत्तीयां जब्त कर नीलामी होनी चहिएI Financial crime के मामले लंबे समय तक अदालतों में लंबित नहीं रहने चाहिए। इनका fast-track कोर्ट में priority से निपटारा होना चाहिए। जरा सोचिए! फैसला आप खुद कीजिये

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