गंगा में शव बहाने का मामला : सुप्रीम कोर्ट ने कहा, एनएचआरसी जाइए
नई दिल्ली, 29 जून (बीएनटी न्यूज़)| सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें मृतकों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक नीति बनाने और दाह संस्कार, कोविड प्रभावित शवों को दफनाने और एम्बुलेंस सेवाओं के लिए अधिक शुल्क को नियंत्रित करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है। शीर्ष अदालत ने कहा, याचिकाकर्ता के वकील इस मामले को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ले जाने के लिए स्वतंत्र हैं।
न्यायमूर्ति नागेश्वर राव और हेमंत गुप्ता की पीठ ने कहा, आप जो समस्या उठा रहे हैं, वह गंभीर समस्या है और हम इससे सहमत भी हैं, लेकिन सौभाग्य से स्थिति अभी ऐसी नहीं है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में जाइए ..एनएचआरसी मुद्दों का ध्यान रखेगा।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता ने दलील दी कि गंगा नदी में शव मिलने की घटनाओं की पृष्ठभूमि में मृतकों के अधिकारों की रक्षा के लिए नीति बनाने के निर्देश दिए जाने की जरूरत है। वकील ने दलील दी कि याचिकाकर्ता के संगठन ने इस मुद्दे को उच्च न्यायालय के समक्ष उठाया है, लेकिन अभी तक आवश्यक कार्रवाई नहीं की गई है।
पीठ ने जवाब दिया, एनएचआरसी को जवाब देने के लिए कहा गया है। आप एनएचआरसी में जाइए। आप कितने मंचों से संपर्क करेंगे? आप पहले ही उच्च न्यायालय से संपर्क कर चुके हैं। उच्च न्यायालय ने एक निर्देश दिया है। एनएचआरसी ने हस्तक्षेप किया है।
पीठ ने जोर देकर कहा कि याचिका में उठाए गए मुद्दे गंभीर हैं और एनएचआरसी मामले की जांच के लिए उपयुक्त मंच है।
एनजीओ ट्रस्ट डिस्ट्रेस मैनेजमेंट कलेक्टिव ने एक ऐसे विशिष्ट कानून के अधिनियमन पर जोर देते हुए एक याचिका दायर की, जो मृतकों के अधिकारों की रक्षा कर सके।
याचिका में शीर्ष अदालत से सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को जल्द से जल्द गैर-अनुपालन के लिए दंडात्मक कार्रवाई के साथ-साथ दाह संस्कार और एम्बुलेंस सेवाओं के लिए दरें निर्धारित करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने का भी आग्रह किया गया है।
याचिका में मृतकों के सम्मान और अधिकारों की रक्षा के लिए 14 मई को जारी एनएचआरसी की सलाह का भी हवाला दिया गया, जिसमें केंद्र और सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 11 सिफारिशें दी गई हैं।
दायर की गई याचिका में श्मशान और एम्बुलेंस सेवा प्रदाताओं द्वारा किए जा रहे अधिक शुल्क पर भी प्रकाश डाला गया है और दलील दी गई है कि यह सीधे गंगा नदी में शवों को फेंकने की खबर से जुड़ा है।