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हरियाणा पुलिस घोटाला पुलिस ई-चालान का रु3.20 करोड का गबन

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अपडेटेड 26 सितंबर 2023, 5:24 PM IST
हरियाणा पुलिस घोटाला पुलिस ई-चालान का रु3.20 करोड का गबन
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हरियाणा के पलवल में पुलिस विभाग में रु3 करोड़ 20 लाख का घोटाला सामने आया है। पुलिस कर्मियों ने ई-चालान भुगतान के पैसों को बैंक में जमा न कराकर खुद ही हड़प लिए। डीएसपी की जांच रिपोर्ट पर कैंप थाना पुलिस ने चालान ब्रांच में तैनात हैड कॉन्स्टेबल जनक व ओमवीर के खिलाफ सरकारी पैसे का गबन करने का केस दर्ज किया। एचसी जनक को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस उसे रिमांड पर लेकर मामले में पूछताछ करेगी।

डीएसपी संदीप मोर ने बुधवार को पत्रकारों को बताया कि एसपी लोकेंद्र सिंह को जानकारी मिली कि ई-चालान की रकम समय पर खातों में जमा नहीं हो रही है। उन्होंने इसकी जांच उन्हें (डीएसपी ट्रैफिक संदीप मोर को) सौंपी। उन्होंने जनवरी 2020 से 31 मार्च 2023 तक के रिकॉर्ड की जांच की। जांच में पाया कि इस दौरान बैंक में पैसे जमा कराने की जो रसीद रिकॉर्ड में लगी हुई थी, वे बैंक की रसीदों से भिन्न थी।

HC जनक था इंचार्ज

उन्होंने जब जांच की तो इस दौरान कुल रकम रु3 करोड़ 20 लाख 19 हजार 650 बनती है, जो बैंक में जमा नहीं कराई गई। इस दौरान वर्ष 2018 से 2021 तक चालान ब्रांच में हवलदार जनक बतौर इंचार्ज रहा था। एचसी जनक ने चालान की रकम लेकर उसे विभाग के साथ धोखाधड़ी कर बैंक खाते में जमा नहीं कराया। ईएचसी ओमबीर की तैनाती के दौरान रु12 हजार 700 सरकारी खाते में जमा नहीं कराये गये।

नियम के अनुसार चालान की रकम प्रतिदिन शाम को बैंक में जमा होनी चाहिए, लेकिन जनक ने कुछ रकम जमा कराई थी, जो भी 15-15 दिन में जमा हुई। डीएसपी ने बताया कि कोरोना काल के दौरान मामला अधिकारियों के संज्ञान में नहीं आ सका था।

मामले में दोनों पुलिसकर्मियों ने नियमों की जानकारी होने के बावजूद अपने पद का दुरूपयोग कर सरकारी पैसा को अपने निजी कार्य में प्रयोग कर सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचाया है। जिसके चलते दोनों पुलिसकर्मी जनक व ओमबीर के खिलाफ आईपीसी एवं भ्रष्टाचार अधिनियम की संबंधित धाराओं में केस दर्ज कर लिया गया।

रिकॉर्ड में लगी रसीद फर्जी मिली

डीएसपी संदीप मोर ने बताया कि ई-चालान की रकम को बैंक में जमा कराने के लिए जो रसीद मिलती है, वे एचसी जनक ने रिकॉर्ड में लगाई हुई थी, लेकिन जो रसीद रिकॉर्ड में लगी हुई थी, उनका मिलान बैंक में किया तो वे फर्जी मिली। जांच में पता चला है कि आरोपी ने बैंक की रसीदों पर फर्जी मोहर लगाकर उन्हें रिकॉर्ड में लगाया हुआ था। जबकि इस दौरान कुछ रकम आरोपी ने बैंक में जमा भी कराई है, लेकिन वह न के बराबर है। उसने सरकारी रकम को हड़प लिया।

कैंप थाने में दर्ज हुआ केस

डीएसपी संदीप मोर ने बताया कि करोड़ों का घोटाला सामने आने पर उन्होंने अपनी रिपोर्ट तैयार कर पुलिस अधिकारी को सौंप दी। जिसके आधार पर कैंप थाना पुलिस ने आरोपी पुलिस कर्मी जनक व ओमवीर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। पुलिस ने आरोपी चालान शाखा प्रभारी हवलदार जनक को गिरफ्तार कर लिया है। रिमांड के दौरान उससे उक्त रकम के बारे में पूछताछ की जाएगी।

जिसका नाम आएगा, होगी कार्रवाई

डीएसपी ने कहा कि पूछताछ के दौरान जिस भी पुलिस कर्मचारी व अधिकारी की इसमें संलिप्तता पाई जाएगी, उसे माफ नहीं किया जाएगा। पुलिस विभाग के पैसे की पूरी रिकवरी कर उसे खाते में जमा कराया जाएगा। आरोपी ओमवीर की जांच की जा रही है, अभी तक की जांच में उसके खिलाफ कोई पुख्ता तथ्य नहीं मिले हैं। तथ्य मिलते ही उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

इस तरह के घोटालों से एक तरफ जहां राजस्व की घोर हानि होती है वहीं दूसरी तरफ लोगों का विश्वास कानून व्यवस्था और तंत्र पर shake होता है। लोगों में यह भावना घर कर रही है कि घोटालेबाज़ों का कुछ नहीं होगा। यह एक आम धारणा है कि ये घोटालेबाज अपनी money power एवं contacts का इस्तेमाल कर बच निकलेंगे। घोटालेबाज़ों का राजनैतिक गठजोड़ भी एक बड़ी समस्या है। निष्पक्ष जांच नहीं हो पाती। Investigating Agencies पर political pressure डाला जाता है। घोटालेबाज़ों को कानून का कोई भय नहीं क़ानूनों को कठोरता से लागू किया जाना चाहिए। जांच time-bound manner में की जानी चाहिए। संपत्तीयां जब्त कर नीलामी होनी चहिएI Financial crime के मामले लंबे समय तक अदालतों में लंबित नहीं रहने चाहिए। इनका fast-track कोर्ट में priority से निपटारा होना चाहिए। जरा सोचिए! फैसला आप खुद कीजिये

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