BNT Logo | Breaking News Today Logo

Latest Hindi News

  •   बुधवार, 02 अप्रैल 2025 06:39 AM
  • 16.09°C नई दिल्ली, भारत

    Breaking News

    ख़ास खबरें
     
  1. आईपीएल 2025 : पंजाब किंग्स ने लखनऊ को आठ विकेट से हराया, प्रभसिमरन सिंह बने ‘प्लेयर ऑफ द मैच’
  2. वक्फ अधिनियम में पहले भी हो चुके हैं संशोधन
  3. वक्फ ब‍िल पेश होने के एक दिन पहले प्रहलाद जोशी और जगदंबिका पाल ने संभाला मोर्चा, विपक्ष पर लगाया झूठ फैलाने का आरोप
  4. गुजरात के बनासकांठा में हुए हादसे पर खड़गे-राहुल ने जताया दुख, दोषियों पर कार्रवाई की मांग
  5. कांग्रेस ने अपने सांसदों को तीन लाइन का व्हिप क‍िया जारी, 2-4 अप्रैल को लोकसभा में उपस्थिति अनिवार्य
  6. वक्फ संशोधन विधेयक : भाजपा ने व्हिप जारी कर सांसदों से बुधवार को लोकसभा में उपस्थिति रहने के लिए कहा
  7. गुजरात के बनासकांठा हादसे में 18 की मौत, सीएम भूपेंद्र पटेल ने जताया दुख, मुआवजे का ऐलान
  8. गुजरात : बनासकांठा में पटाखा फैक्ट्री में लगी भीषण आग, 17 की मौत, कई घायल
  9. दिल्ली : सीएम रेखा गुप्ता ने प्रदूषण से संबंधित कैग रिपोर्ट विधानसभा में की पेश
  10. चिली लैटिन अमेरिका में भारत का ‘महत्वपूर्ण मित्र और साझेदार’ : पीएम मोदी
  11. अखिलेश, डीएमके, बसपा और विपक्षी पार्टियों के लिए मुस्लिम समाज सिर्फ एक वोट बैंक : जगदंबिका पाल
  12. कोडरमा में यज्ञ के लिए भिक्षाटन पर निकलीं महिलाओं पर पत्थरबाजी, दो पक्षों के बीच टकराव के हालात
  13. ‘जिन्हें अपने कृत्यों से दुर्गंध नहीं आती, उन्हें गौमाता की सेवा में दुर्गंध ही नजर आएगी’, योगी का अखिलेश को जवाब
  14. मार्च 2026 तक नक्सलियों को पूरी तरह से उखाड़ फेंकने का लक्ष्य : अमित शाह
  15. पीएम मोदी और चिली के राष्ट्रपति की मुलाकात, द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने पर हुई चर्चा

क्या करें बेचारे भिखारी…

bntonline.in Feedback
अपडेटेड 06 फ़रवरी 2020, 6:54 AM IST
क्या करें बेचारे भिखारी…
Read Time:6 Minute, 51 Second

भारत आर्थिक रूप से प्रगति कर रहा है। देश में अरबपतियों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है तो दूसरी तरफ देश का एक तबका भीख मांगकर पेट भरने को मजबूर हैं। भिक्षावृति आधुनिक भारत के माथे पर कलंक है। मन्दिरों, मस्जिदों या किसी भी धार्मिक स्थल पर भिखारियों की भीड़ लगी रहती है। कोई इन्हें कुछ भी देने को आगे बढ़े तो उसी पर टूट पड़ते हैं। हजारों लोग वास्तव में दो जून की रोटी जुटाने के लिए ऐसा करते हैं। तो अनेक लोगों ने इसे पेशा बना रखा है। कई बार ऐसी खबरें मिलती रहती हैं कि सडक़ किनारे भीड़ मांगने वाला लाखों का बैंक खाता छोड़ गया। भीख मांगने वाली वृद्धा अपनी पीछे लोगों की संपत्ति छोड़ गई। लेकिन जब हम अस्पतालों, रेलवे स्टेशनों, बस अड्डा, चौहारों या अन्य सार्वजनिक स्थलों पर भीख मांगती महिलाओं और बच्चों को देखते हैं तो सोचने को विवश होते हैं। क्या भीख मांगना अपराध है या नहीं। कानूनी प्रावधानों के जरिये भीड़ मांगने पर रोक लगाने की कोशिशें अब तक असफल ही साबित हुई हैं। भीख मांगने को कानूनन अपराध घोषित करने के बावजूद भिखारियों की संख्या कम नहीं हो रही है। जिन बच्चों के हाथों में किताबें होनी चाहिए, उनके हाथों में कटोरा थमा दिया जाता है। इस काम में उनके अभिभावक भी सहायक होते हैं।

देश में कुछ क्षेत्र तो ऐसे हैं जहां भीख मांगना पेशा हो चुका है। उत्तरप्रदेश का एक गांव तो ऐसा है जहां सभी पुरूष भीख मांगते हैं और अगर पुरूष मांगने का काम नहीं करते तो यह समुदाय उसकी शादी नहीं होने देता हैं। कितने बेरहम हैं यह लोग अपने बच्चों के अंग काटकर उन्हें अपाहिज बना देते हैं और उन्हें भीख मांगने के लिए मजबूर कर देते हैं। इस समुदाय के लोग सदियों से भीख मांगते आ रहे हैं। और उन्होंने कभी भी अपने हालातों को बदलने के बारे में नहीं सोचा। इस समाज की धारणा बन चुकी है कि नौकरी से अच्छा भीख मांगना है। लोग सोचते हैं कि नौकरी करने से एक माह में मिलेंगे 10-12 हजार लेकिन भीख मांगने से कमाई इससे कहीं ज्यादा है। इन लोगों का ऐसा सोचना शिक्षा की कमी के कारण है। दूसरी तरफ देश में भीख माफिया बहुत बड़ा उद्योग है, जो गायब बच्चों के सहारे संचालित होता है।  देश में हर साल लगभग 48 हजार बच्चे गायब होते हैं और इनमें से आधे बच्चे तो कभी मिलते ही नहीं। इन गायब बच्चों में से अधिकांश को अपराध और भिक्षवृत्ति में धकेल दिया जाता है।

बाल भिखारी तो पीडि़त हैं, अपराधी नहीं। कानून के विशेषज्ञ भीख माफिया को नेस्तनाबूद करने के लिए कठोर कानून के पक्षधर रहे हैं, लेकिन समाज शास्त्री मानते हैं कि कानून बच्चों को केंद्र में रखकर बनाने होंगे। समाजशास्त्री भी मानते हैं भीख मांगना सम्मानजनक पेशा नहीं है। सिवाय आपराधिक गिरोह या कुछ निठल्ले रहकर भी कमाई करने के इच्छुक इस धंधे को स्वेच्छा से अपनाते हैं। समाज में ऐसे उदाहरण कभी-कभार मिल जाते हैं कि किसी ने भीख मांगते लोगों की मदद की और उन्हें भिक्षावृत्ति से मुक्त कराया। भिक्षावृत्ति को अपराध माना जाए या नहीं, यह सवाल कई बार उच्च अदालत में उठ चुका हैं। भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से बाहर किए जाने की मांग से जुड़ी जनहित याचिकाओंकी सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि देश में अगर सरकार भोजन या नौकरियां देने में असमर्थ हैं तो भीख मांगना अपराध कैसे हो सकता है? अदालत ने कहा कि ‘‘यदि हमें एक करोड़ रुपये की पेशकश की जाती है तो आप या हम भीख नहीं मांगेंगे, एक व्यक्ति केवल भारी जरूरत के कारण भी भीख मांगता है न कि अपनी पंसद के कारण।’’

केंद्र सरकार ने अदालत को बताया था कि बाम्बे प्रिवेंशन एक्ट में पर्याप्त प्रावधान है। इस अधिनियम के तहत भीख मांगने को अपराध बताया गया है। पहली बार भीख मांगते पकड़े जाने पर तीन साल की कैद हो सकती है। आप देख सकते हैं कि कानून का कोई असर नहीं है। आप भिखारियों से जेल नहीं भर सकते। देश में बेरोजगारी बहुत बड़ा मुद्दा है। इस बात पर भी चर्चा हो चुकी है कि पकौड़े बेचना रोजगार है या नहीं। जिस देश में शिक्षित लोगों  को नौकरियां नहीं मिल रही वहीं भिखारियों को नौकरियां कौन देगा। भिक्षावृत्ति पर एक ऐसे कानून की जरूरत है जो इनके पुनवार्स  और सुधार पर जोर डालता हो, न कि गैर कानूनी मानता हो। सरकारों को इस बात की पहल करनी होगी कि मजबूरी के चलते भीख मांगने वालों को स्वरोजगार का प्रशिक्षण दिया जाए और उनके लिए जीवोपार्जन के रास्ते खोले जाएं। समाज के लोगों को भी ऐसे लोगों को मुक्त हद्य से अपनाना होगा। जिन लोगों ने इसे पेशा बनाया हुआ है। उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जरूरत है। समाज को चाहिए कि भीख देना बंद करें और इन लोगों को काम करने की आदत डालने के लिए प्रेरित करें। यह काम सरकार से ज्यादा समाज को ही करना होगा।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *