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एक तरफ वैक्सीन की किल्लत, दूसरी तरफ घोटालों का शोर

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अपडेटेड 25 सितंबर 2023, 5:06 PM IST
एक तरफ वैक्सीन की किल्लत, दूसरी तरफ घोटालों का शोर
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क्या इंसानी ज़िंदगी की कोई कीमत नहीं, क्या पैसा ही सब कुछ है
करोना भी फंस गया राजनीति व लालच के चक्रव्यूह में

देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न राज्यो की हाईकोर्ट में कोविड से संबंधित अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई जारी है।

वेक्सीन मे घोलले के याचिका दायर

इसी सिलसिले में आज सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दायर की गई है, जो दावा करती है कि टीकाकरण अभियान में रु32 हजार करोड़ का घोटाला हुआ है। यह याचिका वकील दीपक आनंद मसीह की ओर से दाखिल की गई है। याचिका में कोरोना से निपटने के लिए केंद्र सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाए हैं। याचिकाकर्ता ने कहा कि पश्चिमी देशों में कोरोना की वैक्सीन तैयार कर ली गई, लेकिन उनकी लागत और कीमत रु150-200 से ज्यादा नही है। वहीं देश में यही वैक्सीन आम लोगों को रु600 रुपये तक में मिल रही है। अब जब 18 साल से ज्यादा आयु के लोगों को वैक्सीन लगने वाली है तो, कीमत भी बढ़ गई है। एक अनुमान के मुताबिक, अभी 80 करोड़ लोगों को टीके की खुराक लगनी है। ऐसे में टीके का कीमत की हिसाब लगाया जाए तो रु32 हजार करोड़ का घोटाला सामने आता है।

याचिकाकर्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने नेशनल साइंटिफिक फोर्स तो बना दी लेकिन फरवरी-मार्च में उसकी एक भी बैठक नहीं हुई। ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव जारी थे। इसके अलावा याचिका में यह भी कहा गया कि अमेरिकी राष्ट्रपति को भी पूरे देश में लॉकडाउन लगाने का अधिकार नहीं है लेकिन भारतीय प्रधानमंत्री को है।

कोरोना किट घोटाला

Coronavirus Pandemic की मुसीबत के बीच उत्तर प्रदेश में अब कोविड किट घोटाला हो गया है। इस बीमारी के घर-घर सर्वे के लिए सरकार ने कोरोना के सर्वे के लिए दो पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मल स्कैनर खरीदने के आदेश दिए, उसे ज़िलों में तय कीमत से पांच-पांच गुना ज्यादा दाम पर खरीद लिया गया। घोटाले में दो अफसर सस्पेंड किए गए हैं और सरकार ने अप इसपर SIT की जांच बिठा दी है। सुल्तानपुर से बीजेपी विधायक देवमणि द्विवेदी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखकर इस संबंध में शिकायत की थी।

मेडिकल व अन्य समान की मुनाफाखोरी व कालाबाजारी

चाहे ऑक्सिजन हो, सेलेंडर हो, दवाई हो, बेड हो, एम्ब्युलेन्स हो, चिता की लकड़ी हो, ओक्सिमेटर हो, कोरोना किट हो, हर जगह मुनाफाखोरी व कालाबाजारी की शिकायते आ रही है। कागजो पर चलते होस्पिटल्स, सरकारी होस्पिटल्स मे उपकरणो व विभिन्न सुविधाओ की कमी, निजी होस्पिटल्स मे मनमाना दाम वसूलना ने आम जनता की जिंदगी की घोर संकट मे डाल दिया है। इलाज व दवाओ पर विभिन्न डॉक्टर्स व सरकारो के अलग-अलग मत जनता को हैरान परेशान कर रहे है। नेशनल वेकसिन पॉलिसी का भी कोई अता-पता नहीं।

इस कोरोना काल में जहां एक तरफ डॉक्टरों, मेडिकल स्टाफ, प्रशासन, पुलिस, मीडिया, सामाजिक संस्थाएं तथा कोरोना के खिलाफ लड़ाई में शामिल कुछ और लोग थक कर चूर होने के बाद भी मनुष्यता की मशाल बाले हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ इंसानियत की उसी लौ पर कुछ लोग बेशर्मी के साथ अपनी रोटियां सेंकने रहे हैं। इसमें वो हैवान तो शामिल हैं ही, जिनकी संवेदनाएं मर चुकी है, वो राजनेता भी शामिल हैं, जिनके लिए कोरोना संकट मानों वोट पकाने की भट्टी बनकर आया है।

अनेक राज्यो ने की खराब वेंटिलेटर्स की शिकायत

बीते साल पीएम केयर्स फंड से रु2000 करोड़ रुपए वेंटिलेटर्स के लिए दिए गए थे। उन वेंटिलेटर्स का क्या हुआ? बताया जाता है की पीएम केयर्स फंड से ऑर्डर किए गए 58 हज़ार 850 वेंटिलेटर्स में से तक़रीबन 30 हज़ार वेंटिलेटर्स ख़रीदे गए। कोरोना की पहली लहर का ज़ोर कम होने के बाद वेंटिलेटर की ख़रीद में ढील बरती गई। एक ही स्पेसिफ़िकेशन वाले वेंटिलेटरों की क़ीमतों में भारी अंतर देखने को मिला। बिहार, यूपी, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पंजाब, झारखंड जैसे राज्यों के कई अस्पतालों में पीएम केयर्स के वेंटिलेटर धूल खा रहे हैं। कई जगहों से मिल रही हैं वेंटिलेटरों के ठीक से काम न करने की शिकायतें व कहीं प्रशिक्षित स्टाफ़ नहीं, कहीं वायरिंग ख़राब, कहीं एडॉप्टर नहीं। साथ ही कल-पुर्जो की कमी व कंपनी द्वारा इन्स्टालेशन व रूटीन मैंटेनेंस भी नहीं हुआ।

समस्या सरकारी नीतियों की

वकील दीपक आनंद मसीह की याचिका में कहा गया कि देश में लॉकडाउन लगाकर भी देख लिया लेकिन इससे कुछ भी हासिल नहीं हुआ। याचिका में कहा गया कि समस्या संसाधनों से ज्यादा सरकारी नीतियों की रही। वकील दीपक आनंद मसीह ने कोर्ट से अपील की कि सरकार को सही नीतियां बनाकर उन पर अमल करने का आदेश दिया जाए।

बीएनटी ने सभी तथ्य आपके सामने प्रस्तुत किए हैं। जरा सोचिए अगर इस करोनाकाल में भी राजनीति और मुनाफाखोरी इंसानी ज़िंदगी से बड़ी हो जाएगी तो आमजन की सुध कौन लेगा। क्या यहाँ सब कुछ राम भरोसे चल रहा है। जरा सोचिए और फैसला आप खुद कीजिये!

कोरोना फतेह किट घोटाला

पंजाब सरकार पर कोरोना के नाम पर एक और घोटाले के आरोप, हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

पंजाब सरकार पर कोरोना के नाम पर एक और घोटाले के आरोप लगे हैं। बताया जाता है कि पंजाब सरकार के कोविड फतेह किट में घोटाला हुआ है। राज्य सरकार पर हर 15 दिनों में कारेाना फतेह किट के दाम बढ़ाकर नई कंपनियों को कई बार नये टेंडर देने का आरोप लगा है। कोरोना फतेह किट में दवाएं, मास्क, सैनिटाइजर और ऑक्सीमीटर जैसे अन्य कई सामान हैं। पंजाब सरकार की तरफ से मुफ्त फतेह किट कोविड पॉजिटिव मरीजों को दी जाती है।

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के वकीलों ने RTI से इस बात की जानकारी हासिल की है। इन टेंडरों से पंजाब सरकार को मोटी चपत लगी है। इस पूरे मामले को लेकर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में भी याचिका लगाई गई है।

टेंडर में हुआ घोटाला

बीएनटी सूत्रों के मुताबिक, सबसे पहले टेंडर में संगम मेडिकल स्टोर ने रू838 में टेंडर सबसे कम कीमत पर दिया। सरकार ने 3 अप्रैल 2021 को 16668 वही कोविड फतेह किट करीब रु100 प्रति किट ज्यादा रू940 में खरीदी। उसके बाद 20 अप्रैल 2021 को एक दूसरा नया टेंडर लगाया गया। जिसमें इसी किट की कीमत रु1226 लगाई गई और ग्रांड वे (grand way) नाम की कंपनी को 50,000 किट का टेंडर दिया गया। जबकि इस कंपनी के पास मेडिकल वस्तुओं को बेचने का लाइसेंस भी नहीं है। इसके बाद 7 मई 2021 को तीसरा टेंडर लगाया गया, जिस में 150,000 किट के लिए कीमत बढ़ाकर रू1338 रखी गई।

इस तरह जो किट पहले टेंडर में रु838 में मिल रही थी उसके लिए तीसरे टेंडर में कीमत बढ़कर रु1338 यानि करीब ₹500 प्रति किट ज्यासदा हो गई, जबकि किट का सामान वही था। पहले टेंडर की जो शर्तें थी उसमें से शर्त नंबर 18 और 19 में लिखा था कि ये शुरुआती तौर पर की गई रिक्वेस्ट है और बाद में कोविड फतेह किट की संख्या को कम ज्यादा किया जा सकता है। इसी टेंडर की शर्त नंबर 30 के मुताबिक, ये टेंडर और कीमतें 180 दिन तक वैलिड रहेगा और 180 दिन तक इसी रेट पर सरकार आपसे और भी किटें खरीद सकती है। अब सवाल उठता है कि जब पहली किश्त के टेंडर पर इतना कम रेट मिल रहा था और ये 180 दिन तक वैलिड था इसके बावजूद दूसरा और तीसरा टेंडर बढ़ी हुई कीमतों पर क्यूं लगाया गया? इसको लेकर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में पंजाब सरकार के वकीलों ने कहा है कि इस पूरे मामले की जांच की जा रही है.

अकाली नेता हरसिमरत कौर ने सरकार को घेरा, आप ने की लोकपाल से शिकायत

इस पूरे घोटाले को लेकर अकाली नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि प्राइवेट अस्पतालों को सरकारी वैक्सीन मोटी कीमतों पर बेचने के बाद ये फतेह किट का एक और नया घोटाला सामने आया है। इस घोटाले में कई बार रेट को लेकर कई बार टेंडर को बदला गया। 50 दिनों में 5 बार टेंडर के रेट बदले गए। ₹750 किट का टेंडर रू1500 में दिया गया। जो ये फतेह किट कोविड पॉजिटिव मरीजों को दी जाती थी उसमें ऑक्सीमीटर का भी घोटाला हुआ है. बठिंडा और पूरे पंजाब में कई बार ये मामले सामने आए थे कि कई किट में ऑक्सीमीटर ही नहीं थे और कई फतेह किट में घटिया क्वालिटी के ऑक्सीमीटर डाले गए। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को आड़े हाथों लेते हुए हरसिमरत ने कहा कि वो अपने फॉर्म से निकलते ही नहीं है और ना ही किसी मरीज का हाल पूछने के लिए कभी हॉस्पिटल में जाते है। अफसरशाही ही सरकार चला रही है जिसके कारण ये कोरोना के नाम पर बड़े-बड़े घोटाले सामने आ रहे हैं।

आप सह प्रभारी राघव चड्ढा ने लोकपाल से ‘फतेह किट’ घोटाले की शिकायत लोकपाल से की और जांच करने की अपील की है। लोकायुक्त को लिखे पत्र में आप ने मांग की है कि महामारी के दौर में पंजाब के खजाने को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार राजनीतिक और प्रशासनिक व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।

पंजाब भाजपा के मुख्य प्रवक्ता अनिल सरीन, महामंत्री जीवन गुप्ता और जिला अध्यक्ष पुष्पेंद्र सिंघल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाए कि पंजाब सरकार ने फतेह किटों के माध्यम से करीब रु8 करोड़ का घपला किया है। उन्होने सीबीआई से जांच की मांग कर सीएम और स्वास्थ्य मंत्री से इस्तीफा मांगा है।

सराकर दाखिल करेगी हाईकोर्ट मे जवाब

फतेह किट में हुए घोटाले को लेकर पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू का कहना है कि मामला हाईकोर्ट में है और हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है और इसका जवाब जो भी है हाईकोर्ट में दाखिल किया जाएगा। वहीं पर व दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

राष्ट्रीय सेहत मिशन के डायरेक्टर (वित्त) को पद से हटाया गया

आम आदमी पार्टी के ब्लाक प्रधान मनिदर सिंह व आप नेता कंवर इकबाल सिंह ने बताया कि अब सरकार ने राष्ट्रीय सेहत मिशन के डायरेक्टर (वित्त) नीरज सिगला, जिन्हें कोरोना से सबंधित दवाईयां व अन्य उपकरण खरीदने का अधिकार था तथा जिन्होंने उनसे सबंधित फतेह किटों की खरीद के लिए टेंडर पास किया था, को उनके पद से हटा दिया है। नीरज सिगल को उनके पद से हटाए जाने से यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार खुद मानती है कि फतेह किट की खरीद में घोटाला हुआ था।

मौजूदा समय में पंजाब कोविड-19 की दूसरी लहर के विनाशकारी और घातक हमले से जूझ रहा है और प्रदेश में मौत दर सबसे ज्यादा है। पंजाब सरकार (Punjab Government) पर केंद्र से मिली वैक्सीन को प्राइवेट अस्पतालों को ऊंचे दामों पर बेचने के आरोप लगे तो अब ‘फतेह किट’ में घोटाले (Fateh Kits Scam) का खुलासा हुआ है। पीम केयर के वेंटिलेटर घोटाले व फतेह किट घोटाले मे क्या अंतर है? क्या ‘घोटाले’ राजनेताओ के वार-पलटवार मे गुम होते रहेंगे व दोषियों को कभी सजा नहीं मिलेगी? अगर इस करोनाकाल में भी राजनीति और मुनाफाखोरी इंसानी ज़िंदगी से बड़ी हो जाएगी तो आमजन की सुध कौन लेगा। क्या संसार के 18% प्रतिशत आबादी वाले देश मे, जहा पर दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है, वहाँ पर आमजन के जीवन के मौलिक अधिकार की रक्षा व वास्तविक रूप मे साकार करने वाला कोई है? जरा सोचिए, फैसला आप खुद कीजिये!

 

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