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IPO घोटाले! जिम्मेदार कौन – लालच या SEBI

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अपडेटेड 26 सितंबर 2023, 5:21 PM IST
IPO घोटाले! जिम्मेदार कौन – लालच या SEBI
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रिटेल निवेशकों (Retail Investors) को भारी सब्जबाग दिखाकर लाए गया ‘पेटीएम’ (Paytm) का रू18,300 करोड़ का महा सार्वजनिक निर्गम यानी आईपीओ (IPO) शेयर बाजार का सबसे बड़ा घोटाला प्रतीत होने लगा है। डिजिटल पेमेंट प्लेटफार्म ‘पेटीएम’ की संचालक कंपनी वन 97 कम्युनिकेशन्स लिमिटेड (One 97 Communications Ltd.) को शेयर बाजारों में लिस्ट हुए महज दो महीने भी नहीं हुए हैं कि इसके शेयर धूल चाटने लगे हैं। आईपीओ मूल्य रू2,150 के सामने अब इसका शेयर भाव सिर्फ रू960 रह गया है। अर्थात 55% का भारी घाटा। जिन निवेशकों ने पेटीएम के शेयर में निवेश किया था, उनकी निवेश वैल्यू सिर्फ दो महीनों में ही आधी रह गयी है। इसका हाल भी 14 साल पहले जनवरी 2008 में लाए गए रिलायंस पावर (Reliance Power) के रू11,563 करोड़ के महानिर्गम की तरह होता नजर आ रहा है।

जब जनवरी 2008 में पहली बार सेंसेक्स 21,000 अंक की ऊंचाई पर पहुंचा था, तब नाममात्र का मुनाफा होने के बावजूद रू450 के काफी महंगे मूल्य पर भी रिलायंस पावर के आईपीओ की ‘कमीशन एजेंटों’ (Commission Agents) ने इसी तरह की लुभावनी मार्केटिंग कर भोले-भाले रिटेल निवेशकों को अपने जाल में फंसाया था। कालांतर में इसका भाव धूल चाटता नजर आया और लाखों निवेशकों के रू11,000 करोड़ डूब गए! रिलायंस पावर का आईपीओ एक बड़ा घोटाला बन गया, लेकिन कोई जांच, कोई कार्रवाई नहीं हुई। नियामक ‘सेबी’ (SEBI) मौन साधे रही, उसी का दुष्परिणाम है कि आईपीओ मार्केट में ‘लूट’ का खेल बदस्तूर जारी है। जिसमें प्रमोटर (Promoters), मर्चेंट बैंकर (Merchant Bankers), फंड मैनेजर (Fund Managers) और अन्य बिचौलिए (Middlemen) लालच की सारी हदें पार करते हुए देश के रिटेल निवेशकों को जम कर लूट रहे हैं।

चाइनीज कंपनी ले गयी 5,000 करोड़

आश्चर्य तो इस बात का है कि चाइनीज कंपनियों (Chinese Companies) के निवेश से फली-फूली पेटीएम लगातार भारी घाटे में है और वित्त वर्ष 2021 में तो इसको रू1701 करोड़ का भारी घाटा हुआ था। सितंबर 2021 की तिमाही में भी पेटीएम को रू461 करोड़ का घाटा हुआ है। फिर भी ‘सेबी’ ने पेटीएम को 1 रुपए फैस वैल्यू वाले शेयर पर रू2,150 के रिकार्ड महंगे भाव पर बेचने की मंजूरी दे दी। यदि रू10 फैस वैल्यू के हिसाब से गणना की जाए तो ‘पेटीएम’ का आईपीओ मूल्य रू21,500 प्रति शेयर हो जाता है। रू18,300 करोड़ के आईपीओ में से रू5,000 करोड़ तो अकेले चाइनीज कंपनी आन्ट ग्रुप ही भारतीय निवेशकों से लेकर चली गई।

फंडों ने क्यों दांव पर लगाए 8,235 करोड़?

पेटीएम के आईपीओ में LIC को छोड़ कई भारतीय और विदेशी फंडों (एंकर इन्वेस्टर्स) ने रू8,235 करोड़ का भारी निवेश किया था। लेकिन इनके निवेश की वैल्यू दो महीने में ही मात्र रू4,000 करोड़ रह गयी है। यानी रू4,000 करोड़ रुपए डूब चुके हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि इन फंडों ने भारी घाटे वाली पेटीएम के सबसे महंगे शेयर में इतना बड़ा जोखिम लेकर निवेश क्यों किया? संभवत: इसके एवज में फंड मैनेजरों को मोटी रकम ‘कमीशन’ (Commission) के रूप में दी गयी है। तभी इन्होंने रिटेल निवेशकों के पैसे को दांव पर लगा दिया। इन बड़े संस्थागत निवेशकों को देख कर ही लाखों छोटे निवेशकों ने भी पेटीएम के आईपीओ में निवेश कर डाला।

इन 4 म्युचुअल फंडों ने किस ‘लालच’ में किया निवेश?

एंकर इन्वेस्टर्स (Anchor Investors) में 4 बड़े म्युचुअल फंड भी शामिल हैं। जिन्होंने पेटीएम आईपीओ में रू1,050 करोड़ का निवेश कर 48.85 लाख शेयर खरीदे। इनमें सबसे ज्यादा रू515 करोड़ का निवेश आदित्य बिरला म्युचुअल फंड (Aditya Birla Mutual Fund) ने अपनी 9 स्कीमों के जरिए किया। इसके बाद मिरे एसेट म्युचुअल फंड (Mirae Asset Mutual Fund) ने अपनी 4 स्कीमों का रू375 करोड़ दांव पर लगाया। एचडीएफसी म्युचुअल फंड (HDFC Mutual Fund) ने भी 4 स्कीमों के रू150 करोड़ इसमें लगा दिए। जबकि बीएनपी पारिबा म्युचुअल (BNP Paribas Mutual Fund) ने रू10 करोड़ लगाए। अब इनके निवेश की वैल्यू आधी रह गयी है। यह चपत सीधे इन म्युचुअल फंडों के निवेशकों को ही लगी है। बड़ा सवाल यह है कि पेटीएम के आईपीओ में इन फंडों ने भारी जोखिम के बावजूद किस ‘लालच’ में निवेश किया? यह जांच का विषय है।

वित्त मंत्री को दखल देने की जरूरत : केजरीवाल

केजरीवाल रिसर्च एंड इन्वेस्टमेंट सर्विसेज के अध्यक्ष अरूण केजरीवाल का कहना है कि इस तरह की अंधाधुंध ‘लूट’ को देखते हुए जनहित में अब अत्यावश्यक हो गया है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) को इस मामले में तुरंत दखल देनी चाहिए और 30 साल पहले कंट्रोलर ऑफ कैपिटल इश्यूज (CCI) नामक जो प्रभावी नियामक संस्था थी, वैसी ही वापस कोई नई संस्था का गठन करना होगा। जिस तरह केंद्र सरकार आम निवेशकों के हित में अपनी कंपनियों के आईपीओ उचित मूल्य पर लाती है, उसी तरह निजी कंपनियों के आईपीओ भी उचित मूल्य पर ही लाने की मंजूरी दी जानी चाहिए।

जवाबदेही तय कर दंडित करे सरकार : शर्मा

‘राइट्स’ संस्था के अध्यक्ष श्याम प्रकाश शर्मा का कहना है कि यह अत्यधिक खेद एवं दुर्भाग्य की बात है कि भारत में आईपीओ में मूल्य निर्धारण के कोई निश्चित नियम एवं मापदंड नहीं बनाये गये है। इस बाबत ‘सेबी’ से जब हमने निवेशकों के साथ हो रही लूट की तरफ उसका ध्यान केंद्रित करते हुए सवाल पूछा तो उसने टाल–मटोल वाला उत्तर देते हुए सेबी विनिमय 2018 के भाग VII की अनुसूची XIII का हवाला देकर अपने उत्तरदायित्व से पल्ला झाड़ लिया। इससे यह स्पष्ट है कि ‘सेबी’ के जिन अधिकारियों को निवेशकों के हितों की रक्षा करने का दायित्व सौंपा गया है, उनमें इतनी भी काबलियत नहीं है कि वे ‘लूट’ के इस गोरखधंधे को समझ सकें या फिर हो सकता है इस ‘लूट’ से उनके कुछ निहित स्वार्थ जुड़े हों। दोनों ही स्थिति चिंताजनक है।

आईपीओ घोटालों की जांच करवाये

शर्मा ने कहा कि भारत सरकार के वित्त मंत्रालय को चाहिए कि वह आईपीओ घोटालों की जांच करवाये और ‘सेबी’ के दोषी अधिकारियों, मर्चेंट बैकरों, फंड मैनेजरों और संस्थागत निवेशकों की जबाबदेही निर्धारित करते हुए उनपर दंडात्मक कारवाई करें और यह सुनिश्चित करे कि भविष्य में निवेशकों को आईपीओ के मार्फत ठगा नहीं जाएगा। पेटीएम के आईपीओ के मर्चेंट बैंकरों मोर्गन स्टैनली इंडिया (Morgan Stanley India), गोल्डमैन सैक इंडिया (Goldman Sachs India), एक्सिस कैपिटल (Axis Capital), ICICI सिक्युरिटीज (ICICI Securities), मोर्गन इंडिया (J.P. Morgan India), सिटीग्रुप ग्लोबल मार्केट (Citigroup Global Capital) और HDFC बैंक (HDFC Bank) के खिलाफ तत्काल कार्रवाई और वसूली कर निवेशकों को हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति की जाए।

आईपीओ का Zomato युग

देश के शेयर मार्केट में ऑनलाइन फू़ड डिलीवरी कंपनी Zomato की शानदार लिस्टिंग ने इंटरनेट प्लेटफॉर्म कंपनियों के लिए आईपीओ मार्केट में बड़े पैमाने पर उतरने का रास्ता साफ कर दिया। हालांकि जितनी भी इंटरनेट कंपनियां हैं, उनमें बड़े निवेशकों का काफी निवेश हो रहा है लेकिन ये सभी घाटे में हैं। ऐसे में लगातार घाटे में रही Zomato के आईपीओ को निवेशकों का जबरदस्त रेस्पॉन्स एक नया फेनोमिना है।

अन्य महंगे आईपीओ का भी बुरा हाल

पेटीएम के अलावा पिछले साल आए दूसरे मंहगे आईपीओ जैसे कि जोमैटो (Zomato), कारट्रेड (Cartrade), नायका (Nykaa), पीबी फिनटेक (PB Fintech), सैफायर फूड (Sapphire Foods) के शेयर भी गिरते हुए अपने नए न्यूनतम स्तर पर आने लगे हैं। पॉलिसीबाजार पोर्टल की संचालक पीबी फिनटेक का शेयर रू865 रह गया है, जबकि इसका आईपीओ मूल्य रू980 था। इसी तरह कारट्रेड का शेयर आईपीओ मूल्य रू1,618 रुपए की तुलना में 50% से ज्यादा घटकर अब रू813 ही रह गया है।

हाल के दिनों में IPOs के जरिये कंपनियों ने रू40,000 करोड़ से ज्यादा इकठ्ठा किया। ये IPOs काफी हाई प्रीमियम पर आये। यहाँ तक की कुछ loss मेकिंग कंपनियों के IPOs भी प्रीमियम पर आये। ये एक सोच का विषय है जिन कंपनियों का बिज़नेस अभी viable नहीं है, उसे इन्वेस्टर्स कैसे प्रीमियम पर खरीद सकते है। क्या ये लूट सेबी, फाइनेंस मिनिस्ट्री व् अन्य रेगुलेटिंग बॉडीज को दिखाई नहीं दी? इन् आईपीओस को अप्रूवल कैसे मिला? क्या इस लूट में सब शामिल है ? जरा सोचिये, फैसला आप खुद कीजिये!

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